देहरादून: शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने वाले वाहनों से सड़कों पर लग रहे जाम को लेकर तेवर सख्त किए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह व पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी को शीतकालीन अवकाश के चलते बंद स्कूलों के खुलने से पहले यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा। साथ ही कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने स्कूलों से भी यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने में सहयोग मांगा।
बुधवार को शिक्षा मंत्री अरविंद कुमार पांडेय ने देहरादून में स्कूलों की छुट्टी के दौरान लगने वाले जाम से निपटने के लिए सचिवालय में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह व पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी समेत विभागीय अधिकारियों संग बैठक की। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा देश भर में बढ़ रहे प्रदूषण से बचने के लिए लोग उत्तराखंड घूमने आते हैं। यह हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि उनकी कल्पना के अनुरूप सुविधा दें।
देखने में यह आता है कि कुछ स्कूलों की वजह से शहर की प्रमुख सड़कें जाम होती हैं। इसी को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों के संग बैठक की और इस पर विचार किया कि स्कूलों की छुट्टी के बाद जाम न लगे। इसके लिए कुछ विकल्पों पर चर्चा की गई। जैसे स्कूलों के लगने व छुट्टी के समय में थोड़ा परिवर्तन किया जाए। यदि ऐसा संभव न हो पाए तो फिर स्कूल बसें लगाई जाएं। जिन स्कूलों के ग्राउंड बड़े हैं वे बच्चों की गाड़िया कैंपस में लगाएं। इसके अलावा परेड़ ग्राउंड व पवेलियन ग्राउंड में भी चौपहिया वाहनों को खड़ा करने की व्यवस्था कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि डीजीपी ने आश्वास्त किया है कि जल्द इसका समाधान निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों को ऐसा न लगे कि हम उन पर दबाव डाल रहे हैं। हम उनसे निवेदन करते हैं कि उत्तराखंड की अच्छी छवि बनाने के लिए सहयोग दें।
एक्ट पर खामोशी
सरकार निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाह रही है। यही कारण है कि शिक्षा मंत्री ने निजी स्कूलों के लिए एक्ट लाए जाने के संबंध में कहा कि वह चरणबद्ध तरीके से काम करना चाहते हैं। सरकार की प्राथमिकता पहले स्कूलों में एनसीइआरटी की पुस्तकों को लागू करना है। उन्होंने कहा कि सत्र से पहले यह पुस्तकें लागू की जाएंगी।
उत्तराखंड पुलिस के एडीजी अशोक कुमार की माने तो संबंधित विभाग और जिलाधिकारी से मिलकर स्कूली बच्चों के लिए ऐसी व्यवस्था बनाने पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें स्कूल बसों के अलावा जिले में कुछ सिटी बसों को भी स्पेशल स्कूल बस बनाया जायेगा। ताकि शहर में लगातार बढ़ते ट्रैफिक दबाव और लगातार होने वाले सड़क हादसों को रोका जा सके।