देहरादून। शिक्षा निदेशालय में बेहद गोपनीय तरीके अटैच किए गए कुछ शिक्षकों का मामला उजागर होने के बाद अब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की विभाग को सुधारने की कवायद के दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सोशल मीडिया से लेकर विभाग तक में मंत्री जी के सुधार के दावों पर चुटकियां ली जा रहीं हैं। हालांकि इस मसले पर मंत्री जी बैकफुट पर जाने को तैयार नहीं दिखते। मीडिया में जारी उनके बयानों के मुताबिक वो अटैचमेंट को सही ठहरा रहें हैं। वहीं लोगों ने अब बीजेपी के कुछ नेताओं का शिक्षा मंत्री पर दबाव पड़ने का दावा भी किया है।
दरअसल ये वाक्या गुपचुप तरीके से पांच शिक्षकों को देहरादून शिक्षा निदेशालय में नए बनाए गए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में अटैच करने का है। शिक्षा मंत्री के दफ्तर से चली फाइल में निदेशालय में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाने और उसमें पांच टीचरों को अटैच करने के आदेश दिए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस लिस्ट में जो नाम थे वो बीजेपी नेताओं के खासमखास करीबियों के थे। अब जब मंत्री जी के दफ्तर से चिट्ठी आई थी तो भला कोई अधिकारी उसे कैसे रोकता। लिहाजा प्रकोष्ठ बना कर पांच लोगों को अप्वाइंट कर दिया गया।
अब मंत्री जी के इस आदेश पर खूब आलोचना होने लगी है। शिक्षक मंत्री जी पर बीजेपी नेताओं के लिए काम करने का आरोप लगा रहें हैं। वहीं ऐसे कामों के लिए पहले से बनाए गए तंत्र की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए जा रहें हैं। फिलहाल मंत्री जी ने इस प्रकरण को हल्के में टाल दिया है। हालांकि मीडिया में उन्होंने ये दावा एक बार फिर किया है कि वो विभाग में कुछ गलत नहीं होने देंगे। लेकिन सवाल उठता है कि जो उन्होंने किया क्या वो सही है?