देहरादून( मनीष डंगवाल ) : उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही बंशीधर भगत चर्चाओं में आ गए हैं। चर्चाओं में प्रदेश अध्यक्ष बनने के साथ ही भाजपा से निष्कासित नेताओं के साथ पार्टी कार्यालय में इंट्री करने को लेकर बंशीधर भगत चर्चाओं में है,जिसको लेकर भाजपा नेताओं के बीच भी यह चर्चा का विषय भी बना हुआ है कि आखिर जिन नेताओं को पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 6 साल के लिए निष्काषित किया हुआ है उनके साथ ही पहले दिन बंशीधर भगत ने क्यों पार्टी कार्यालय में इंट्री की।
बगावत करने वाले भाजपा नेताओं के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचे बंशीधर
बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर बंशीधर भगत का नाम लगभग तय हो गया था,लेकिन जब प्रदेश भाजपा कार्यालय में उनकी इंट्री धमाकेदार अंदाज में हुई थी तो कार्यालय में मौजूद लोगों ने नाम के ऐलान से पहले हीे मान लिया था कि बंशीधर भगत प्रदेश अध्यक्ष बन गए है। बस नाम पर मुहर लगना बाकी है और कुछ घंटों के इंतजार के बाद उनके नाम पर मुहर भी लग गई। लेकिन कुछ भाजपा नेताओं के बीच चर्चा की विषय वहीं था कि बंशीधर भगत अपने साथ बगावत करने वाले भाजपा नेताओं के साथ क्यों पार्टी कार्यालय पहुंचे हैं। दरअसल बंशीधर भगत प्रमोद नैनवाल के साथ पार्टी कार्यालय अपने अध्यक्ष बनने के दिन पहुंचे थे।
पार्टी ने दो-दो बार किया निष्काषित,अजय भट्ट के साथ छत्तीस का आंकडा़
जी हां बता दें कि प्रमोद नैनवाल वहीं नेता है जिन्हें पार्टी ने दो-दो बार पार्टी से निष्काषित किया हुआ है और अभी भी प्रमोद नैनवाल भाजपा से निष्काषित है। खास बात ये है कि प्रमोद नैनवाल का भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल से सांसद अजय भट्ट के साथ छत्तीस का आंकडा़ हैै। अपने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अजय भट्ट ने 4 सालों में प्रमोद नैनवाल को दो बार पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। ऐसे में अपने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी नए अध्यक्ष को सौंपे जाने के दिन की प्रदेश भाजपा कार्यालय में बंशीधर भगत के साथ प्रमोद नैनवाल की इंट्री कई भाजपा नेताओं को रास नहीं आ रही है।
कौन है प्रमोद नैनवाल,चुनाव हार थे अजय भट्ट
प्रमोद नैनवाल वहीं भाजपा नेता रहे हैं जिन्होंने अजय भट्ट के खिलाफ 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ा। खुद भी प्रमोद नैनवाल चुनाव नहीं जीत पाएं बल्कि उनके चुनाव लड़ने से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट चुनाव हार गए. अजय भट्ट के नेतृत्व में उत्तराखंड में भाजपा ने चुनाव लड़ा। पार्टी को 57 सीटें मिल गई,लेकिन अजय भट्ट खुद चुनाव हार गए। हार की वजह प्रमोद नैनवाल ही थे क्योंकि प्रमोद नैनवाल भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े थे। प्रमोद नैनवाल के बागी चुनाव लड़ने पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रमोद नैनवाल को 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया। प्रमोद नैनवाल फिर भाजपा में आने की 2017 से ही सोच रहे थे लेकिन उन्हें पार्टी में वापसी का मौका 2019 के लोकसभा चुनाव में मिल गया। अल्मोड़ा से सांसद अजय टम्टा ने प्रमोद नैनवाल को पार्टी में शामिल करने के लिए वकालत की जिस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे नरेश बंसल ने प्रमोद नैनवाल को पार्टी में शामिल करने को हरी झंडी दे दी।
कई भाजपा नेता रह गए दंग,
लोकसभा चुनाव से लेकर पंचायत चुनाव तक प्रमोद नैनवाल भाजपा के सदस्य रहे लेकिन पंचायत चुनाव में फिर प्रमोद नैनवाल पर पार्टी विरोधी गतिविधयों में शामिल होने के आरोप लगे है और पार्टी ने पंचयात चुनाव के दौरान 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया। लेकिन 6 साल के लिए निष्कासित किए गए प्रमोद नैनवाल जब आज बंशीधर भगत के साथ प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे तो कई भाजपा नेता दंग रह गए कि आखिर अजय भट्ट से जिस नेता का छत्तीस का आंकडा़ है बंशीधर भगत उनके साथ कदम से कदम मिलाते पार्टी कार्यालय पहुंच रहे हैं।
बागियों की आएगी बहार
उत्तराखंड में 2022 का विधानसभा चुनाव प्रदेश अध्यक्ष के नाते बंशीधर भगत के नेतृत्व में लड़ा जाना है। ऐसे में पहले दिन बागी नेता के साथ बंशीधर भगत की पार्टी कार्यालय में इंट्री से उन बागी नेताओं के लिए भी आशा की किरण बनकर उभरी है,जो पार्टी में वापसी करना चाहते हैं लेकिन देखना यही होगा कि जिन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्काषित किया गया है तो क्या फिर उत्तराखंड भाजपा संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के बाद इतनी आसानी से उनकी वापसी की राह आसान बन पाएंगी।