देहरादून(मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड में युमना नदी पर बनने वाली लखवाड़ जलविद्युत परियोजना को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है. यानी जो पेंच पिछले 30 सालों से ज्यादा लखवाड़ जलविद्युत परियोजना को लेकर फंसे नजर आ रहे थे, उसे केेंद्र की मोदी सरकार ने दूर कर दिया है। इसी का नतीजा है कि 6 राज्यों के बीच परियोजना को लेकर सहमति बनने के साथ एमओयू भी हस्ताक्षर हो चुके हैं। यूं तो जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था,तब 1992 में 30 प्रतिशत कार्य होने के बाद परियोजना को रोक दिया गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई प्रयास राज्यों सरकार के द्धारा परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए किए गए, लेकिन किसी भी सरकार को इसमें सफलता हासिल नहीं हुई…
लेकिन प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार की मजबूत पहल के चलते केंद्र की मोदी सरकार ने इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए अपनी सहमति के साथ 5 और राज्यों को भी सहमत किया जिससे परियोजना में आ रही रूकावटें दूर हो गई है।
परियोजना से 6 राज्यों को मिलेगा फायदा, इस पर पूरा अधिकार उत्तराखंड का
लखवाड़ जल विद्युत परियोजना से 6 राज्यों को फायदा होगा…उत्तराखंड को इस परियोजना से डलब फायदा होगा, क्योंकि 5 राज्यों को जहां इस परियोजना से केवल सिंचाई के साथ पीने के लिए पानी मिलेगा…वहीं उत्तराखंड को पानी के साथ 300 मेघावट बिजली भी मिलेगी। परियोजना से 300 मेघावट बिजली उत्पादन होगी, जिस पर पूरा अधिकार उत्तराखंड का होगा। उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को इस परियोजना से फायदा होगा। किस राज्य को कितना पानी इस परियोजना से मिलेगा उसे आप दिए गए फोटो में आंकणों के जरिए समझ सकते है।
4000 करोड़ की लागत से बनेगी परियोजना
लखवाड़ जल विद्युत परियोजना 4000 करोड़ की लागत से बनेगी से बनेगी,जिसमें 90 प्रतिशत धन राशी केंद्र सरकार सिंचाई और पीने के पानी पर खर्च करेगी,जबकि 10 प्रतिराशी सिंचाई और पीने के पानी पर 6 राज्य खर्च करेंगे,वहीं पाॅवर हाॅउस और पाॅवर प्रोजेक्ट पर करीब 1500 करोड़ रूपये खर्च उत्तराखंड को करने होंगे।
डबल इंजन आया काम
जनता के मुद्दो को लेकर यूं तो उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार पर कई तहर के व्यंग कसे जाते है,लेकिन इसे डबल इंजन का धमाल ही कहा जाएगा जो सालो से बंद पड़ी परियोजना को शुरू करने के लिए कई राज्य साथ आएं है। परियोजनो को लेकर कई राज्यों के बीच मतभेद थे,लेकिन 6 में से 5 राज्यों में भाजपा की सरकार होने के चलते लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को लेकर सभी मतभेद दूर हो गए,खास बात ये है कि इस समय उत्तराखंड उत्तर प्रदेश,हरियाणा,राजस्थान,हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर भाजपा शासित सभी 5 राज्यों ने परियोजना पर सहमति बना दी। वहीं दिल्ली की बात करें तो पानी कि किल्लत को देखते हुए दिल्ली एक ऐसा राज्य है जो परियोजना पर खर्च होने वाली राशी का आधा बजट सबसे पहले दे चुका है।
5 साल में तैयार हो जाएंगी परियोजना
सालों से जहां लखवाड़ जल विद्युत परियोजना अधर में लटकी हुई है,वहीं 5 साल के भीतर परियोना से बिजली उत्पादन के साथ ही 6 राज्या को पानी भी मिलना शुरू हो जाएगा। जलविद्युत निगम के एमडी एसएन वर्मा का कहना कि परियोजना को बनाने के जिम्मेदारी उत्तराखंड जल विद्युत निगम को दी गई तो,निगम ने तय किया है कि 5 साल पूरे होने से पहले परियोजना को तैयार किया जाएगा,3 महीने के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। साथ ही जलविद्युत निगम 4 माह के भीतर परियोजना पर काम शुरू कर देगा।
24 और परियोजनाओं की जगी आस
लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद जल विद्युत निगम के एमडी का कहना कि 24 जलविद्युत परियोजनाएं जिन्हे केंद्र से हरी झंडी मिलनी बाकि है उनकी भी आस अब उत्तराखंड को जगी है कि केंद्र सरकार उन परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाएंगी,जिससे उत्तराखंड सरप्लस बिजली उत्पादन कर सके और ऊर्जा प्रदेश का सपना उत्तराखंड का साकार हो सके।