नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली का खास महत्व होता है। इस पर्व पर यम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। ज्योतिषाचार्यों ने इसका महत्व बताते हुए विधि विधान से पूजन अर्चन के तरीके सुझाए हैं। यम का दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होने का विशेष महत्व माना गया है।
ऐसा माना जाता है कि हरि की पौड़ी घाट पर यम का दीपक जलाने वालों पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि अनजाने में लोगों से तमाम पाप हो जाते हैं और यम का दीपक जलाने से अनजाने में हुए पाप भी धुल जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन चंद्रमा बुध की राशि कन्या से निकलकर शुक्र की राशि तुला में प्रवेश करेगा। इसलिए इन पर्व पर लोगों को विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए।
दीपदान का समय और लग्न
शाम 3ः28 बजे से 5ः03 बजे तक (मीन लग्न)
शाम 6ः46 से 8ः46 बजे तक (वृष लग्न)
नरक चतुर्दशी के दिन घरों में घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति रात को एक दीया जलाकर पूरे घर में घूमता है और उस दीपक को घर के बाहर रख देता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि ऐसा करने से दरिद्रता दूर होती है। प्रत्येक घर में यह प्रक्रिया होनी चाहिए। मान्यता अनुसार इस दिन यमराज की प्रसन्नता के लिए सायं काल दक्षिण दिशा में या घर के दरवाजे पर चार मुख का दीपक जलाना चाहिए।