इसके लिए शहरी विकास मंत्रालय के पास एक रोड़ मैप भी है। महकमें के मंत्री मदन कौशिक इसके लिए अधिकारियों की बैठक ले चुके हैं। रोड़ को 6 सेक्टरों को बांट कर लीडर तैनात किए जा चुके हैं उन्हें कैसे काम को पूरा करना है इस पर भी चर्चा हो चुकी हैं।
उधर पक्के अवैध निर्माण के मालिक जहां सरकार के इस कदम में रोड़ा अटकाने की तरकीब ढूंढ रहे हैं, वहीं उत्तराखंड रोड़वेज की कर्मचारी यूनियन ने भी सरकार के इस कदम के खिलाफ हुंकार भरी है। दरअसल सरकार गांधी रोड़ पर मौजूद पुराने बस अड़्डे को मॉडल रोड़ के लिए शानदार पार्किंग बनाना चाहती है। जबकि रोड़वेज कर्मचारी संयुक्त परिषद इसका विरोध कर रही है।
कर्मचारी संयुक्त परिषद का मानना है कि सरकारों की नीतियां रोड़वेज को घाटे मे डुबाने का काम कर रही हैं। ऐसे में विरोध जातने वाली यूनियन का कहना है कि पुराने बस अड्डे को पार्किंग के लिए तभी दिया जाएगा जब ISBT को परिवहन निगम के हवाले किया जाएगा। सरकार की मंशा का विरोध करने वाली कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी की माने तो सरकार अपनी जिद पर अड़ कर यूनियन को हड़ताल और आत्मदाह के लिए मजबूर न करे।