हरिद्वार: हरिद्वार के डीएम दीपक रावत ने शहर में गंदे नालों, सीवरेज आदि की शिकायत मिलने पर ऋषिकुल एवं हर की पैड़ी क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया. जहां हालात बद से बद्तर थे. डीएम ने ऋषिकुल के पास बह रहे नाले का पानी टेपिंग के अभाव में गंगा में बहता पाया। साथ ही नाले के पानी को पम्पिंग स्टेशन के माध्यम से जगजीतपुर एसटीपी भेजने के लिए स्टेशन तो बनाया गया परन्तु स्टेशन को वर्किंग भी नहीं रखा गया जिसकी वजह से नाले की स्पलाई गंगा चैनल में होती दिखी। जिस पर डीएम ने एई जल संस्थान राजेश कुमार चैहान मायापुर क्षेत्र के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की औऱ साथ ही ट्रांसफर की बात भी कही. और साथ ही एक होटल संचालक पर 15 हजार का जुर्माना लगाया.
अधिकारी डीएम को दे रहा था गलत जानकारी
निरीक्षण करने पहुंचे डीएम दिपक रावत ने देखा कि नाले का मात्र टेपिंग स्ट्रक्चर ही निर्मित किया गया, जबकि अधिकारी नाला टैप कर दिये जाने की गलत जानकारी डीएम को दे रहे थे। डीएम ने इन अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि टेपिंग से छूटे नालो टैप किये जाने का कार्य नमामि गंगे योजना के माध्यम से किया जाना है, लेकिन अधिकारी गलत जानकारी देकर सही ढंग से काम होने में बाधा पहुंचा रहे हैं। लेकिन सोचने वाली बात है अब तक डीएम साहब गंगा मांगे मोक्ष सीरीज की कैसी रिपोर्ट देते रहे.
जब ध्यान पॉलिथीन और गरीबों की जेब से हटता तभी तो गंगा की ओऱ जाता
डीएम साहब जब आपका ध्यान पॉलीथीन और गरीबों की जेब से हटता तभी तो आपका ध्यान गंगा की ओर जाता. आपको जिले का दबंग अंदाज, एक्शन में रहने वाला औऱ जिम्मेदार जिलाधिकारी माना जाता है फिर ये गैरजिम्मेदरी कैसे. आप अधिकारियों से कैसे ठग गए. उन्होंने आपको गलत रिपोर्ट दी लेकिन क्या आपका हक नहीं बनता था पॉलीथीन से नजर हटाकर गंगा की तरफ देखने का.
सिर्फ भीड़-भाड़ वाली जगह पर ही दिखता है डीएम का एक्शन फॉर्म
आपने गरीब की जेब से तो 4500 रुपये निकालकर संतुष्ठि कर ली और अपना नाम औऱ पब्लिसिटी भी कमा ली लेकिन गंगा मांगे मोक्ष सीरीज जिसे पूरा देश गंगा मां मानता है आपने उस पर ध्यान देना जरुरी नहीं समझा. गौर हो कि पॉलीथीन का प्रयोग करने पर डीएम के आदेश पर व्यक्ति की जेब से 4500 रुपये निकाल लिए गए थे जिसके बाद उसका 4400 का चालान किया गया. जब मीडिया ने इसे आपसे रुबरु कराया तब आपकी नजर पॉलीथीन औऱ गरीबों-आमजन से हटी और गंगा पर गई.
डीएम को भाती है हमेशा भीड़-भाड़ वाली जगह
दबंग डीएम कहलाने वाले दीपक रावत की दबंगई सिर्फ गरीबों और आम जनता पर ही चलती है. हमेशा से ही उन्हे भीड़-भाड़ वाली जगह पसंद है न कि गंगा जैसी निर्मल, शांत जगह क्योंकि अगर ऐसा होता तो आज हरिद्वार में गंगा की ये हालात नहीं होता.
27 नालों की गंदगी सीधे जा रही गंगा में
आपको बता दें हरिद्वार के ज्वालापुर में लगभग 30 से ज्यादा बस्तियों और बुचड़खानों का गंदा पानी इस नाले में आकर सीधे गंगा में जाता है। इसके साथ ही भेल का पानी भी इसी के रास्ते से आता है। ये नाला 24 घंटे निरंतर चल रहा है। इसके बाद ये गंदा पानी आगे किसानों के खेत और रुड़की शहर और पिरान कलियर की तरफ जाता है।
कभी शुरू ही नहीं हुआ ट्रीटमेंट प्लांट
वहीं, इसको साफ करने के लिए बना ट्रीटमेंट प्लांट कभी शुरू ही नहीं हुआ। इसके साथ ही हरिद्वार जिलाधिकारी कैंप के पास ही एक नाला सालों से बहकर गंगा में जा रहा है। हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र का गंदा पानी हो या बीजेपी दफ्तर के आसपास की बस्तियां। मायापुर की वाल्मीकि बस्ती हो या ऋषिकुल की बस्ती। सभी का गन्दा पानी सीधे गंगा में उतर रहा है।
देखने वाली बात है कि गरीब की जेब से 4500 रुपये निकलाने वाले डीएम-दबंग डीएम इन झूठे-कामचोर अधिकारियों पर क्या एक्शन लेते हैं. भीड़-भाड़ वाली जगहों से ध्यान हटकर मां गंगा को मैला करने वालों और इसकी झूठी रिपोर्ट देने वालों पर डीएम अपनी क्या दबंगई दिखाते हैं.