देहरादून : रुद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल हमेशा से अपनी जिम्मेदारियो,कर्तव्य के साथ-साथ स्कूली बच्चों और शिक्षा के क्षेत्र में भी कई उम्दा काम करते आ रहे है. कई बार ऐसा हुआ है कि जब स्कूल में शिक्षत नहीं थे तो उनकी धर्मपत्नी ने एक शिक्षिका की भूमिका निभाई थी. जिससे साफ समझा जा सकता है कि डीएम अपने जिले और शिक्षा को लेकर कितने सतर्क है.
डीएम की वाह-वाही तो बनती है
जी हां इस बार डीएम मंगेश घिल्डियाल की पहल की वजह से ही बच्चों को सौगात मिली. अब केदारनाथ में स्कूली बच्चे सुकून से स्कूल में अपनी पढ़ाई कर सकेंगे। दरअसल बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए आने वाले भक्त केदारघाटी हवाई सेवा के जरिए आते-जाते हैं।स्कूल के उपर से लगातार हेलीकॉप्टरों के गुजरने की वजह से बच्चे शोर-शराबे के कारण पढ़ाई नही कर पाते ते. वो काफी डिस्ट्रब होते थे. लेकिन डीएम ने इस समस्या को हल कर दिया है जिसेस उनकी वाह-वाही तो बनती है. जी हां डीएम मंगेश घिल्डियाल की कोशिशों के बाद स्कूलों में साऊंड प्रूफ कमरों का तोहफा मिलने वाला है.
सीआरएस मदद से संबंधित स्कूलों में दो-दो कमरे साउंडप्रूफ बनाने की पहल
सब जानते हैं कि केदारनाथ धाम नें सरकार द्वारा कई कंपनियों को हेली सेवा देने के लिए हायर किया. ताकि जो लोग चढ़ाई नहीं चढ़ पाते वो आसानी से हेली सेवा से भगवान के दर्शन करने धाम पहुंचे सके. इससे दर्शन करने आने वाले लोगों को तो सहूलियत होती है लेकिन स्थानीय लोग और बच्चों को बहुत परेशानी होती थी. जिसके बाद डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बच्चों की इस परेशानी को गंभीरता से लिया और हवाई कंपनियों के साथ बैठक कर सीआरएस मदद से संबंधित स्कूलों में दो-दो कमरे साउंडप्रूफ बनाने को कहा था।
हैली सेवा कंपनियों ने किया समर्थन
आपको बता दें डीएम की इस पहल में हैली सेवा कंपनियों ने भी भवन निर्माण के लिए अपनी समर्थन दिया है. जिसके बाद ऐरो एविएशन ने खाट, आर्यन एविएशन ने नारायणकोटी, ग्लोबल एविऐशन ने सोनप्रयाग और हिमालयन एविऐशन ने सेरसी में दो-दो स्कूलों में साउंड प्रूफ कमरों का निर्माण पूरा कर लिया है। जबकि हेरिटेज और पवन हंस एविएशन की ओर से दो-दो स्कूलों में निर्माण का काम जारी है।
बड़ा सवाल ये कि आखिर स्थानीय लोगों को कैसे मिलेगा इस शोर-शराबे से छुटकारा
डीएम मंगेश घिल्डियाल की इश पहल से जरुर स्कूल के बच्चे और उनके माता पिता उनका शुक्रगुजार हैं जो कि उन्होंने बच्चों की शिक्षा के बारे में सोचते हुए ये बड़ा काम किया. साउंडप्रूफ कमरों से जरुर बच्चों को पढ़ने में सहूलियत होगी लेकिन बड़ा सवाल ये है कि स्थानीय लोग औऱ बेबोल जानवरों को कैसे इस शोर-शराबे से छुटकारा मिलेगा.