टिहरी: टिहरी जिले के चमियाला में बनी विकलांग कर्मशाला को व्यवस्था ने बदहाल कर दिया है। यक कर्मशाला 2011 से चल रही है। इस कर्मशाला में कर्मचारी भी तैनात है। नियुक्त भी किये गए हैं, लेकिन सांठ-गांठ से कर्मचारियों ने यहां से दूसरी जगहों पर व्यवस्थाएं बनाई हुई हैं। दिव्यांगो के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए स्थापित यक कार्यशाला खुद ही दिव्यांग हो गई है।
कई पद रिक्त
इस विकलांग कर्मशाला में स्वीकृत 14 पदों में से वर्तमान में यहां पर केवल 4 कर्मचारी कार्यरत है, जिनमें एक अधीक्षक, एक प्रशिक्षक एक कंपाउंडर और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल है। अधीक्षक भूपेंद्र सिंह महर भी यहां चार्ज पर हैं। यहां प्रशिक्षक के पद पर तैनात प्रभाती प्रसाद उनियाल का भी ट्रांसफर हो चुका है, वह भी फिलहाल 31 दिसंबर तक यहां अटैच पर हैं।
वेतन चमियाला का, अटैचमेंट हरिद्वार में
हैरानी की बात यह है कि यहां पर डाटा एंट्री ऑपरेटर, सेल्समैन के पद पर संविदा पर तैनात विनीता देवी 2011 से हरिद्वार में जमी हैं, जबकि उनको वेतन इसी कर्मशाला के नाम पर जारी होता है। इससे और अधिक हैरान करने वाली बात यह है कि वो संविदा पर तैनात हैं, बावजूद उनको हरिद्वार में अटैच किया गया है। इतना ही नहीं जब उनसे पूछा गया कि आप उक्त जगह अपना ट्रांसफर ही करवा दो तो वह हमसे ही सवाल करने लगी कि आप किसका ट्रांसफर चमियाला में करवाना चाहते हैं। अब ऐसा लगता है कि हरिद्वार में 8 साल से ज्यादा समय डटे रहने के बाद भी वो यहां वापस नहीं लौटना चाहतीं।
12 दिव्यांगों को प्रशिक्षण
वर्तमान में यहां पर टीचडीसी के सहयोग से बैकरी व्यवसाय का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अधीक्षक भूपेंद्र सिंह मेहर ने बताया कि वर्तमान में यहां पर 12 दिव्यांग प्रशिक्षु आवाशीय वाले और सात अनावसीय सुविधा का लाभ ले रहे हैं। यहां पर रसोईया और कहार का पद ही रिक्त है।
रसोईया का पद खाली
इस कर्मशाला में दिव्यांगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। कर्मशाला में रसोइया तक तैनात नहीं है। ऐसे में कैसे दिव्यांग जनों का भोजन बनता होगा, यह भी एक बड़ा सवाल है। 14 कर्मचारियों के स्थान पर मात्र दो कर्मचारियों के भरोसे यह संस्थान कैसे दिव्यांगजनो को प्रशिक्षण दे रहे होंगे। यह भी एक बड़ा सवाल है।