देहरादून- कहा गया है कि देर से मिला न्याय भी अन्याय के समान होता है। शायद यही सोचकर सरकार ने आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है। इस कोशिश के तहत सरकार ने आपदा का दंश झेल चुके जिलों के लिए एक कमेटी गठित की है। ये केमेटी इस बात की जांच करेगी कि आपदा पीड़ितों को सरकारी ऐलान के मुताबिक न्याय मिला है या नहीं।
तहसील स्तर पर गठित इस केमेटी में जिलाधिकारी, सीडीओ, और तहसील के उपजिलाधिकारी शामिल होंगे। समिति आपदाग्रस्त जिलों में वितरित मुआवजे और राहत के सभी प्रकरणों की दुबारा से जांच करेगी ताकि इस बात का पता चल सके कि पीड़ितों की जिंदगी कुदरती नुकसान के बाद ढर्रे पर लौटी भी है या नहीं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
ये समिति इस बात की भी जांच करेगी कि पीड़ितों को जो नुकसान हुआ उसकी कितनी भरपाई हुई है। इसका पूरा विवरण बना कर गठित समिति शासन को देगी जहां अपर सचिव सी.रविशंकर इस समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर सरकार को इस संबंध में सही स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
माना जा रहा है कि सरकार ने समिति का गठन उन रिपोर्ट्स के आने के बाद किया है जिनमें कहा गया था कि आपदा पीड़ितों को सरकारी ऐलान के मुताबिक राहत नहीं मिली है, फिर चाहे पौड़ी जिला रहा हो या पिथौरागढ़। अब देखना ये है कि गठित कमेटी सरकार को क्या रिपोर्ट देती है और उस रिपोर्ट पर क्या अमल होता है। बहरहाल कहा गया है,’सुबह का भूला शाम घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते’