दून अस्पताल में गुरुवार को जच्चा बच्चा की मौत के बाद राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के अपर सचिव स्वास्थय युगल किशोर पंत ने दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूती रोग विभाग का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान अस्पताल के डाक्टरों ने महिला और उसके बच्चे की मौत के मामले मेें खुद को पाक साफ करार दिया है। रिकार्ड्स के निरीक्षण के बाद जो रिपोर्ट सामने आई है उससे तो ये लगता है मानों अस्पताल के डाक्टरों की नहीं बल्कि मरने वाली महिला की ही गलती थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रसूता अपने बेड पर उपलब्ध ही नहीं रहती थी। कई बार उसे बेड से गायब दिखाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक महिला का बल्ड ग्रुप बी निगेटिव था और रेयर ग्रुप होने के बाद भी उसे दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।
अपर सचिव के निरीक्षण में जो बातें सामने आईं हैं उनके मुताबिक प्रसूता महिला ने कैथेटर भी नहीं लगाने दिया जिसकी वजह से डाक्टर इलाज नहीं कर पा रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक 19 सिंतबर को हुए अल्ट्रसाउंड में गर्भस्थ शिशु के कम वजन के होने का पता चल गया था। डाक्टरों की रिपोर्ट बताती है कि महिला लेबर रूम में भी जाने को तैयार नहीं थी।
डाक्टरों की माने तो सुचिता को गर्भावस्था के सातवें महीने में ही दिनांक 19 सितम्बर, 2018 को प्रातः 5.15 बजे मृत शिशु का प्रसव हुआ तथा इस अवस्था में श्रीमती सुचिता की पूर्व से ही खराब तबीयत और ज्यादा खराब होने पर सी.पी.आर. किये जाने के उपरान्त भी प्रसूता को बचाया नही जा सका। प्रातः 6.44 पर मृत घोषित किया गया।