Dharmendra Uttarakhand Connection : बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। हर कोई उन्हें याद कर उनसे जुड़े किस्से और यादें बयां कर रहा हैं। लेकिन आपको बता दें कि ये यादें सिर्फ बड़े पर्दे तक सीमित नहीं हैं।
उत्तराखंड से ही धर्मेंद्र की यादें जुड़ी है। उत्तराखंड के पहाड़ों, गलियों, और जंगलों में भी धर्मेंद्र की यादें बसी है। आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि देहरादून की पहचान माने जाने वाले FRI ने धर्मेंद्र की वजह से अपना पूरा नियम ही बदल दिया था। क्या है वो किस्सा, आइए जानते है इस आर्टिकल में।

धर्मेंद्र का देहरादून से रिश्ता
धर्मेंद्र और देहरादून का रिश्ता काफी गहरा रहा है। ये दो-चार फिल्मों तक सीमित नहीं था। ये जगह उनके सिनेमाई सफर की शुरुआत का एक अहम हिस्सा रहा है। दरअसल धर्मेंद्र और देहरादून का 60 के दसक से कनेक्शन रहा है।1960 के दौरान वो अपनी दो फिल्मों की शूटिंग के लिए देहरादून आए थे।
- 1962 – आदमी और इंसान
- 1967 – दुल्हन एक रात की
डाकपत्थर बैराज पर फिल्माया गया जागेगा इंसान गाना Jagega Insaan Shooting in Dakpatthar
1962 में बनी फिल्म आदमी और इंसान यश चोपड़ा की पहली निर्देशित फिल्म है। इसमें धर्मेंद्र डैम इंजीनियर की भूमिका में नजर आए थे। फिल्म का फेमस गाना “जागेगा इंसान…”डाकपत्थर बैराज पर फिल्माया गया था। बता दें कि उस वक्त डाकपत्थर बैराज में निर्माण चल रहा था।

आज भी डाकपत्थर बैराज में फिल्म की मार्किंग मौजूद
इस गाने की शूटिंग के लिए पूरी टीम यहां आई थी। स्क्रीन पर सब बिल्कुल रियल लगे इसके लिए निर्माणाधीन बैराज पर ही शूट किया गया। आज वर्तमान में भी डाकपत्थर बैराज पर इस फिल्म की मार्किंग मौजूद है। इसे देखने के लिए आज भी लोग दूर-दूर से आते हैं।

फिल्म दुल्हन एक रात की शूटिंग के लिए दून आए धर्मेंद्र
अब बात करें दूसरी फिल्म की तो साल 1967 में नूतन के साथ फिल्म दुल्हन एक रात की शूटिंग के लिए धर्मेंद्र कई दिनों तक देहरादून में रहे। इस फिल्म में कैंपटी फॉल, आसपास की पहाड़ियां, घने जंगल सभी फिल्म का हिस्सा बने।

नैनीताल में हुई फिल्म आदमी और इंसान शूटिंग Aadmi aur Insaan Shooting in Nainital
आपको बता दें कि साल 1969 में आई फिल्म आदमी और इंसान को भी उत्तराखंड में ही फिल्माया गया था। इस फिल्म को ना सिर्फ कहानी और एक्टिंग बल्कि खूबसुरत लोकेशन के लिए भी याद किया जाता है। इस फिल्म में पहली बार उत्तराखंड खासकर खासकर नैनीताल, भीमताल और काठगोदाम की खूबसूरती को बडे़ पर्दे पर दर्शाया गया था।
इन खूबसूरत लोकेशन्स ने धर्मेंद्र के शांत और भावनात्मक अभिनय को और भी ज्यादा निखार दिया था। जिससे ये प्रोजेक्ट उनके शुरुआती करियर का एक चमकदार पड़ाव बन गया।

धर्मेद्र के देहरादून के FRI आने की खबर फैली
साल 1990 में भी धर्मेंद्र के उत्तराखंड आने की खबरें फैली। इस समय फरिश्ते की शूटिंग चल रही थी। खबर छपी कि धर्मेद्र देहरादून के एफआरआई आएंगे। बस फिर क्या था इस खबर के बाद देहरादून में जैसे भूचाल आ गया। उनके फैंस भारी सखंया में उनसे मिलने FRI पहुंचे। कहा जाता है कि उस वक्त उनसे मिलने के लिए करीब 25 से 30 हजार लोग एफआरआई आए। लेकिन धर्मेंद्र वहां नहीं पहुंचे।

जब धर्मेंद्र की वजह से बदले गए FRI के नियम
धर्मेंद्र के वहां ना पहुंचने पर फैंस ने एफआरआई के बॉटनिकल गार्डन को काफी नुकसान पहुंचाया। जिसके बाद FRI प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया। जिसके बाद ये गार्डन आम लोगों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। मुख्य परिसर में भी प्रवेश पर सख्त नियंत्रण लगा दिए गए थे। कहा जाता है कि इससे पहले FRI हर किसी के लिए फ्री ऑफ कॉस्ट खुला रहता था। लेकिन धर्मेंद्र के नाम की दीवानगी ने इसे बदल दिया।

धर्मेंद्र की इन यादों ने देहरादून को सिर्फ एक शूटिंग स्पॉट नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा की एक अगर याद बना दिया। आज भी जब लोग डाकपत्थर बैराज में जागेगा इंसान की वो मार्किंग देखते हैं तो लगता है कि मानो वो दौर अभी भी जिंदा है। धर्मेद्र की यादें कहीं ना कहीं अभी भी जिंदा है, हवा में, इन पहाड़ों में, और लोगों की यादों में।



