पौड़ी : धुमाकोट बस हादसे को आज एक साल पूरे हो गए हैं जिसमें 48 यात्रियों की मौत हो गई थी.ये हादसा पहाड़ के लिए, पहाड़ों के लिए बहुत ही दुखदायी था जो कि भुलाया नहीं जा सकता. खबर उत्तराखंड उन सभी मृतकों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है. लेकिन बड़ा सवाल आज भी वहीं बना हुआ है कि आखिर किसी गलती के कारण इतनी जिंदगियां गई…किसकी लापरवाही के कारण कई बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, आदमी मौत के मूंह में चले गए. इस हादसा कहें या साजिश कुछ समझ नहीं आ रहा. क्यों वहां स्थानीय लोगों के लिए बाजार जाने से लेकर आस पास जाने के लिए मात्र कुछ ही बस हैं जिस कारण लोग एक ही बस में भर भरा कर बैठ जाते हैं. गलती बस वाले की कहें या सरकार की या पीडबल्यूडी की…लेकिन जिसकी जिंदगियां गई वो वापस लौट के नहीं आ सकती.
क्या एक इंसान की कीमत दो लाख की रह गई है?
लेकिन हां हालात सुधारे जा सकते हैं लेकिन इसकी जहमत कोई नहीं उठाता… क्या एक इंसान की कीमत दो लाख की रह गई है…इस मामले की आज तक कोई जांच नहीं हुई औऱ न ही सामने आया कि हादसा किस कारण हुआ. जनता को बहलाने के लिए कई वादे किए गए. क्या इंसान की जान इतनी सस्ती है कि कोई भी सरकार किसी हादसे में मरने पर 2 लाख मुआवजे का ऐलान कर देती है ताकि लोगों को थोड़ी तो खुशी मिल जाए. लेकिन क्या सरकार को वहां जाकर हालत सुधारने की जहमत नहीं उठानी चाहिए?
ओवरलोड होने के कारण खाई मे गिरी थी बस, 48 लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि, ये हादसा नैनीडांडा ब्लॉक में पिपली-भौन मोटर मार्ग पर हुआ। ग्वीन पुल के पास बस अनियंत्रित होकर खाई में गिरी थी ये हादसा किसी गाड़ी को बचाते वक्त हुआ। बता दें कि यह बस 28 सीटर थी और काफी ओवरलोडेड होने की वजह से सड़क से करीब 60 मीटर नीचे संगुड़ी गदेरे (बरसाती नाले) में गिरी थी। हादसे वाली बस का नंबर UK12C-0159 था। वहीं एसडीआरएफ की टीम तीन हेलिकॉप्टर के जरिए घटनास्थल पर पहुंची था और जख्मी लोगों को धूमाकोट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। बस 2 जुलाई को सुबह करीब छह बजे धौन गांव से रामनगर की ओर चली थी। इलाके के ही एक गांव में जागर का आयोजन किया गया था। हादसे का शिकार हुए लोग इसमें शामिल होने के बाद लौट रहे थे।
यात्रियों को हेलीकॉप्टर से इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स भेजा गया था
बस सड़क से तकरीबन 100 मीटर नीचे गिरी थी। बरसाती नाले में गिरने के बाद बस के दो टुकड़े हो गए थे। बाद में फंसे हुए शवों को ग्रामीणों की मदद से बस से बाहर निकाले गए थे. घायल हुए यात्रियों को हेलीकॉप्टर से इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स भेजा गया था। 9 घायलों को हेलीकॉप्टर द्वारा ऋषिकेश स्थित आइडीपीएल हैलीपैड पहुंचाया गया था. यहां से घायलों को एम्बुलेंस द्वारा ऋषिकेश एम्स पहुंचाया गया था। ऋषिकेश एम्स की 7 एम्बुलेंस आइडीपीएल हैलीपैड में मौजूद थी.
मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख, घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने का ऐलान
उस दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को फोन पर दुर्घटना के बारे मे अवगत कराया था। उन्होंने मदद का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दुर्घटना में मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपए, घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि अविलम्ब उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। आवश्यक होने पर घायलों को उपचार के लिए देहरादून लाने के लिए हेलीकॉप्टर का भी प्रयोग किया जाए।
मंत्री-विधायकों को वहां के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था
आपको बता दें कि जहां पिछले साल 1 जुलाई को ये हादसा हुआ था वहां के हालात जस के तस है. जब कई जिंदगियां कइयों की लापरवाही के कारण लीन हो गई तब जाकर सरकार के नुमाइंदे वहां पहुंचे और लोगों को आश्वासन दिया की हालात बदले जाएंगे…इस दौरान मंत्री-विधायकों को वहां के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा…और लोगों का गुस्सा भी जायज था क्योंकि वहां के हालत अभी भी जस के तस बने हुए हैं. बस अब डर इस बात का है कि कोई मंत्री-विधायकों फिर वहां न जाए वरना लोगों का गुस्सा कैसे भड़के का वो वो लोग भी नहीं जाते.