परिस्थितियां और चेहरे वही ,बस पाले बदल गए हैं
ब्यूरो- देवप्रयाग विधानसभा सीट पर बागियों की भरमार ने साबित कर दिया है कि इस बार नतीजें सबको चौका देंगे। आलम ये है कि देवप्रयाग सीट पर इस बार कोई भी दल सुकून में नहीं है। भाजपा ने यूकेडी से भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक दिवाकर भट्ट को नकार कर जहां विनोद कंडारी पर दांव खेला है। वहीं कांग्रेस ने भी अपने दिग्गज नेता शूरवीर सिंह सजवाण को दरकिनार करते हुए 2012 के बागी और मौजूदा सरकार में पीडीएफ के सदस्य मंत्री नैथानी को अपना हाथ थमाया है।
हालांकि 2012 में कांग्रेस ने ऋषिकेश और डोईवाला सीट पर तैयारी कर रहे शूरवीर सजवाण को नामांकन के अंतिम दिनों में देवप्रयाग भेज दिया था जबकि वहां 2007 का चुनाव हारने के बाद मंत्री नैथानी पूरी तैयारी कर रहे थे। नतीजा ये हुआ कि नैथानी ने नाराज होकर निर्दलीय ताल ठोक दी और कांग्रेस की बेवफाई को रोते हुए चुनाव प्रचार का हथियार बनाया। परिणाम उनके अनुकूल रहा और नैथानी देवप्रयाग पर नल चुनाव निशान के साथ निर्दलीय जीत गए।
बहरहाल इस बार कमोबेश परिस्थितियां 2012 के जैसे ही हैं लेकिन चेहरे बदल गए हैं। जिस स्थान पर तब मंत्री नैथानी थे उस जगह आज शूरवीर सिंह सजवाण हैं। पार्टी सिंबुल पर नैथानी चुनाव लड़ रहे हैं जबकि पिछला चुनाव हारने के बाद से सजवाण क्षेत्र में पांच साल से सक्रिय हैं। ऐसे में कांग्रेस से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर शूरवीर सिंह सजवाण सोमवार को नामांकन करवा चुके हैं। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि देवप्रयाग की जनता किसे अपना विधायक चुनती है।