कहते हैं हौंसले बुलंद हो तो दिल में ठानी हर बात को और हर सपने को सच किया जा सकता है। जी हां ऐसा ही कुछ कर दिखाया वसीमा ने…वसीमा की मां गली गली जाकर चूड़ियां बेचती है और आज उसकी बेटी ने डिप्टी कलेक्टर बनकर उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। ये मंजिल हासिल करने में वसीमा को कई चुनौतियों का सामन करना पड़ा लेकिन हार नहीं मानी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वसीमा के पिता मानसिक रूप से असंतुलित है और उनकी मां ही इकलौती घर का सहारा है जो गली गली जाकर चूड़ियां बेचती है। लेकिन वसीमा ने अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत-लग्न से वो कामयाबी हासिल की जिसे वो दिल में लिए थी।
जानकारी मिली है कि वसीमा का एक भाई है जो रिक्शा चलाया करता था। बस वसीमा के छोटे भाई ने जैसे तैसे अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और एक छोटी मोटी कंपनी में जॉब शुरू कर दी, फिर उन्होंने ही वसीमा की शिक्षा का ख़र्च दिया। वसीमा ने अपने शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल में की। वसीमा ने गाँव के नगर परिषद स्कूल से पढ़ाई पूरी की। फिर इसके बाद उन्होंने प्रखंड के एक उच्च विद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। आपको बता दें कि वसीमा शेख छोटी उम्र से ही पढ़ने में काफ़ी तेज थीं, वे जो सोचती थीं वह करके रहती थी।
18 साल की उम्र में कर दी शादी
वसीमा के सपने तो बहुत बड़े थे लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए समय नहीं मिल पा रहा था। वसीमा की शादी भी सिर्फ़ 18 साल की आयु में ही कर दी गई थी। परंतु भाग्य उनके साथ था। उनके पति का नाम शेख हैदर है, जो उस समय महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमिशन की तैयारी कर रहे थे, जिससे वसीमा को भी पढ़ाई लिखाई में सहायता मिली। वसीमा अक्सर अखबारों में दूसरों की सफलता की कहानियां पढ़ती तो उसमें भी जोश जाग जाता। वसीमा सोचती की जब ये कर सकते हैं तो वो क्यों नहीं कर सकती।। वहीं वसीमा ने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा देने की ठानी और इसके लिए तैयारियाँ भी शुरू कर दी। फिर अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए वह पुणे चली गई थीं।
वसीमा ने की सेल्स इंस्पेक्टर की जॉब
वहीं इसके बाद साल 2018 में वसीमा ने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा दी, उस समय वे बतौर सेल्स इंस्पेक्टर जॉब भी कर रही थीं। इस प्रकार से उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी और एक और बार यही परीक्षा दी। फिर वर्ष 2020 में वे महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में ना सिर्फ़ पास हुई बल्कि पूरे महाराष्ट्र में महिलाओं की श्रेणी में उन्होंने तीसरा स्थान भी प्राप्त किया। इस प्रकार से वसीमा शेख डिप्टी कलक्टर बन गईं। वसीमा शेख की सक्सेस स्टोरी से युवाओं को प्रेरणा मिलती है कि यदि पूरी लगन के साथ निरन्तर कोशिश की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।