नैनीताल- अदालत से उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सरकार की संशोधित विनियमितीकरण नियमावली 2016 और इस संबंध में जारी शासनादेश के तहत आउटसोर्स कर्मचारियों को विभागीय संविदा के तहत नियुक्ति देने पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने इस नियम के तहत किसी कार्मिक को नियमित न करने तथा विभागीय संविदा पर तैनात नहीं करने के निर्देश दिये है।
हल्द्वानी निवासी हिमांशु जोशी व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार की ओर से नियमावली में संशोधन और 19 दिसंबर को जारी शासनादेश को चुनौती दी थी। जिस पर न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि सरकार की ओर से नियमावली में संशोधन के बाद शासनादेश जारी कर आउट सोर्स कर्मचारियों को विभागीय संविदा में नियुक्ति दी जा रही है। सरकार ने नियमावली में संशोधन के बाद पिछले वर्ष 19 दिसंबर को यह शासनादेश जारी किया था।
नियमावली में संशोधन और शासनादेश संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि यह उमा देवी केस में दिए गए फैसले के विपरीत है।
सरकार खाली पदों पर संविदा पर नियुक्ति दे रही है। सरकार के इस फैसले से अन्य सक्षम और योग्य अभ्यर्थी इससे वंचित हो रहे हैं। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने संशोधित नियमितीकरण नियमावली 2016 व 19 दिसंबर के शासनादेश पर रोक लगा दी है।