शासन-प्रशासन की उपेक्षा से नाराज आंदोलनकारी प्रधान ईडा-नारायणबगड़ नरेन्द्र सिंह, रणजीत शाह व हरिराम ने नगर के तिराहे पर मुंडन कर विरोध जताया और बाद में आंदोलनस्थल पर पहाड़ की संस्कृति के अनुरूप नगरवासियों ने शोक राशि के मुंडन करने वालों को सौंपी।
आंदोलनकारियों ने रामलीला मैदान में सभा कर सरकार पर आन्दोलन कुचलने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को विधानसभा घेराव कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की अपील जनता से की। आंदोलन समिति केन्द्रीय अध्यक्ष चारू तिवाड़ी ने कहा कि राज्य आन्दोलन में गैरसैंण राजधानी की कल्पना की गई थी, जिसपर प्रदेश की सरकारों ने पहाड़वासियों के साथ छलावा किया।
गैरसैंण को लेकर मुख्यमंत्री के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए उन्होंने कहा कि गैरसैंण सत्र के बहाने जनधन की बर्बादी का खामियाजा पूर्व सरकार ने भुगता है और यदि सत्र के दौरान गैरसैंण स्थायी राजधानी की घोषणा नही की गई तो वर्तमान सरकार को भी परिणाम भुगतने होगें।
इस मौके पर किशन रावत, महिपाल नेगी टिहरी, सरिता पुरोहित केंद्रीय महामंत्री उक्रांद, जिपंस अल्मोड़ा गजेन्द्र नेगी, ज्येष्ठ उपप्रमुख नारायणबगड़ गंभीर सिंह नेगी, उत्तराखंड रक्षा अभियान के हरिकृष्ण किमोठी, सहित कई लोग मौजूद रहे।
उधर सोमवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल आन्दोलन को समर्थन देने रामलीला मैदान पहुंचे और एक घंटे तक आंदोलन के पक्ष में धरना दिया, इस दौरान जहां आंदोलनकारियों ने उनसे तीखे सवाल किए। कुंजवाल ने कहा कि कांग्रेस स्थायी राजधानी का मुद्दा निश्चित रूप से सदन में उठाएगी।