देहरादून: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस प्रोग्राम को लागू किए जाने के सवाल पर कहा कि शिक्षा में कॉपी-पेस्ट व्यवस्था नहीं चलती है। खुद उन्होंने हैप्पीनेस प्रोग्राम को लागू करने से पहले कई जगह की शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन किया था। उनकी अच्छी बातों को लेकर दिल्ली के हालातों के अनुसार प्रोग्राम तैयार किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की स्थितियों को ध्यान में रखकर प्रोग्राम तैयार किया जाएं, तो उसके सकारात्मक नतीजे आ सकते हैं।
सरकारी शिक्षक महज कर्मचारी बनकर रह गए
मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकारी शिक्षक आज महज कर्मचारी बनकर रह गए हैं। सरकार को कोई भी काम करवाना हो तो वह शिक्षकों पर डाल दिया जाता है। हमें समझना होगा कि शिक्षकों को नौकरी उनकी पढ़ाने की क्षमता देखकर दी गई है, इसलिए उनसे वही काम किया जाए। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में सिसोदिया ने कहा कि हमने शिक्षकों को प्रशिक्षित किया, जिससे आज उम्दा शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं हिंदी में सोचता हूं, इसलिए हिंदी ही बोलता हूं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री बनने के बाद सबसे पहले मैंने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर सहयोगियों और अधिकारियों से चर्चा की।
माता-पिता बच्चों पर दबाव डाल रहे हैं
तीसरी कक्षा के बच्चे से अगर पूछा जाए कि वह भविष्य में क्या बनना चाहता है, तो जवाब होगा आईएएस, डॉक्टर या इंजीनियर, लेकिन हमें समझना होगा कि इतने छोटे बच्चे के दिमाग में यह समझ आई कहां से। दरअसल घर में परिवार, माता-पिता हर वक्त उस पर यही दबाव बनाते हैं कि उसे बड़ा होकर आईएएस, डॉक्टर या इंजीनियर बनना है। ऐसे में बच्चे के दिमाग में भी सिर्फ वही बात चल रही होती है। माता-पिता को भी समझना होगा कि बच्चों पर जो दबाव डाल रहे हैं, उससे न सिर्फ उनके बच्चे बल्कि पूरे समाज को भी नुकसान पहुंच रहा है।