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इनसे मिलिए ये हैं ऋतुपर्ण उनियाल, जो पहाड़ के बेटे कमलेश के मामले को ले गए थे दिल्ली हाईकोर्ट

Reporter Khabar Uttarakhand
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Breaking uttarakhand newsदेहरादून : टिहरी के बेटे दिवंगत कमलेश भट्ट की हार्टअटैक से 17 अप्रैल को दुबई में हुई थी। पहले कमलेश की मौत को संदिग्ध माना लेकिन जब पोस्टमार्टम से मौत का कारण साफ हो गया। बता दें कि कमलेश 24 साल के थे जो दुबई में होटल में नौकरी करते थे।  टिहरी निवासी दिवंगत कमलेश भट्ट का शव 24 अप्रैल को दिल्ली लाया गया लेकिन दिल्ली में शासन के अधिकारियों ने उसे वापस कर दिया। इससे मृतक के परिजन निराश लौट गए। रोशन रतूड़ी ने अपनी कोशिशों से कमलेश के शव को भारत पहुंचाया था लेकिन दिल्ली में अधिकारियों ने इसे वापस लौटा दिय़ा रोशन रतूड़ी ने इसका गुस्सा सोशल मीडिया के माध्यम से निकाला और सरकार को खूब कोसा।

सोशल मीडिया पर मामला बहुत उछला औऱ सरकार की किरकिरी हुई। आखिरकार मामला कोर्ट पहुंचा और सरकार ने भी रविवार को ही पार्थिव शरीर को वापस लाने का आदेश जारी किया। इसके बाद देर रात कमलेश का पार्थिव शरीर अपने देश पहुंचा। दिल्ली से एम्बुलेंस के जरिए परिजन  कमलेश के शव को लेकर ऋषिकेश पहुंचे और सोमवार को ऋषिकेश गंगा तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

ऋतुपर्ण उनियाल मामले को ले गए दिल्ली हाई कोर्ट

बता दें कि ये सब जानते हैं कि रोशन रतूड़ी की बदौलत शव को भारत भेजा गया लेकिन एक शख्स और ऐसा ही कि जिससे कोशिश से पहाड़ के बेटे का शव भारत वापस मंगाया गया। जी हां दिल्ली हाइकोर्ट के अधिवक्ता ऋतुपर्ण उनियाल को जब सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने दिवंगत कमलेश के भाई विमलेश से संम्पर्क किया और उनकी ओर से 25 अप्रैल की रात को ही दिल्ली हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से बात कर लॉकडाउन में याचिका दायर करने की व्यवस्था की। ऋतुपर्ण उनियाल द्वारा कोर्ट में याचिका डालने का असर हुआ।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

अगले दिन रविवार होने के बावजूद अधिवक्ता ऋतुपर्ण के कोशिशों से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका में कमलेश का शव भारत लाने के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया गया था। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में मामले में भारत सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मनिंदर आचार्य ने कहा कि इस तरह के मामलों के समाधान के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया जा रहा है। आखरिकार कोर्ट ने मामले में भारत सरकार को नोटिस जारी कर 27 अप्रैल तक डेडबॉडी की लोकेशन व कंडीशन पर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। बहरहाल कोर्ट के नोटिस जारी करने के बाद तत्काल बाद गृह मंत्रालय का आदेश जारी हुआ और कमलेश के शव को भारत लाया जा सका।

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