देहरादून: गुजरात के सूरत की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। कोचिंग सेंटर में लगी आग में जलने, दम घुटने और जान बचाने के लिए कूद गए। जो कूदे उनकी जान भी नहीं बच पाई। देहरादून समेत पूरे उत्तराखंड में ऐसे सैकड़ों कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। जिनमें सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। भगवान ना करे कभी सूरत जैसा हादसे देश में फिर हों, लेकिन अगर हुआ तो अंदाजा लगाइए कि अंजाम कितना खतरनाक हो सकता है।
देहरादून में कई कोचिंग सेंटर, जहां तक पहुंचने के लिए चौड़ी सड़क भी नहीं
देहरादून के करनपुर में डीएवी और डीबीएस काॅलेज के आसपास कई कोचिंग सेंटर ऐसे हैं, जिन तक पहुंचने के लिए चौड़ी सड़क भी नहीं है। राजपुर रोड, धर्मपुर, पटेलनगर, बल्लूपुर समेत शहर के लगभग हर क्षेत्र में कोचिंग सेंटर मानकों के विपरीत चल रहे हैं। इस लिहाज से भी कोचिंग सेंटर सुरक्षित नहीं हैं। ज्यादातर जगहों पर कोचिंग सेंटर कांपलेक्स की आखिरी मंजलों पर ही हैं। जहां से आग लगने की स्थिति में बचने चांस कम होते हैं। सीढ़ी से उतरने में काफी समय तो लगता ही है। भगदड़ मचने का भी खतरा रहता है।
शहर और आसपास के इलाकों में नियमों को दरकिनार बनकर बने व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों की ओर ध्यान खींचा है। यहां के अधिकांश कोचिंग सेंटर इन कॉम्पलेक्स में संचालित किए जा रहे हैं और यहां आग से बचने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं। कई कांपलेक्स तो ऐसे इलाकों में बनाए गए हैं कि वहां दमकल वाहन पहुंच ही नहीं पाएगा। अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नहीं करने पर दमकल विभाग के अधिकारी भी आज तक इन कॉम्पलेक्स मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सके।
सबसे ज्यादा अनदेखी आग की घटना होने पर उसके सुरक्षा के इंतजामों की हुई। जबकि किसी भी बड़े भवन के निर्माण में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम करना जरूरी होता है। कोचिंग सेंटर के संचालकों ने भी कोई इंतजाम नहीं किया। कॉम्पलेक्सों में सीढ़ियों से एक समय में महज एक ही व्यक्ति आ जा सकता है। खास बात यह है कि इन कॉम्पलेक्सों में कोचिंग सेंटर के अलावा इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय भी खुले हैं। इन कार्यालयों में दिनभर लोगों की भीड़ लगी रहती है।