देहरादून : पत्रकार कैमरा और माइक आईडी लेकर दिन रात घूमते हैं। धूप में तपते हैं, बारिश में भीगते हैं और सर्दी में कंपकंपाते हुए हर खबर लोगों तक पहुंचाते हैं। लेकिन उनके लिए क्या व्यवस्था की जाती है? पीसी में सिर्फ खाने की व्यवस्था के अलावा ऐसा कोई लाभ नहीं है जो पत्रकारों को दिया जाता है लेकिन मीडिया ही है जिसके बिन राज्य और लोकतंत्र अधूरा है। और आज मीडिया सेंटर में एक ऐसी घटना घटी जिससे ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य के लिए देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले पत्रकारों की जान की कोई कीमत नहीं है।
जी हां हम ये इसलिए कह रहे हैं क्यों कि आज मीडिया सेंटर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब अचानक तेजी से चलता हुआ पंखा जमीन पर गिर गया। वहीं उसी कमरे में पत्रकार सौफे पर बैठे थे जैसे ही पंखा नीचे गिरा, सभी सहम गए। मिली जानकारी के अनुसार सभी पत्रकार राज्य कैबिनेट की बैठक कवर करने मीडिया सेंटर में मंत्री सुबोध उनियाल का इंतजार कर रहे थे। पत्रकार काफी देर से मीडिया सेंटर के रेस्ट रुम में बैठे रहे तभी अचानक चलता पंखा धड़ाम से नीचे गिर गया। गनीमत यह रही कि उस समय पंखा किसी के ऊपर नहीं गिरा क्योंकि पंखा बीचों बीच में गिरा जबकि सभी पत्रकार साइड में लगे सोफे मेंबैठे थे। बता दें कि मौके पर सूचना विभाग के उपनिदेशक और कुछ वरिष्ठ पत्रकार भी बैठे हुए थे।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सरकार के कामोॆ को जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकारों की जान क्या इतनी सस्ती है कि उनके लिए एक बेहतर पंखे का इंतजान नहीं हो सका। एक ओर जहां मंत्रीविधायक नेता सभी एसी रुम में बैठकर पीसी से लेकर आराम फरमाते हैं ऐसे में क्या पत्रकारों के लिए मीडिया सेंटर में एसी की व्यवस्था नहीं की जा सकती। चलो माना पत्रकारों के लिए पंखे की व्यवस्था की लेकिन ऐसा पंखा किस काम का जिससे पत्रकारों की जान पर बन आई। अगर कोई अनहोनी होती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?