बेटे की शादी का सपना तो पूरा न हो सका लेकिन ये भी गौरव और खुशी का पल
लेकिन गर्व भी महसूस हो रहा होगी के जिस भाई ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किया और उसे पूरा देश सलाम कर रहा है. बेटे की शादी का सपना तो पूरा न हो सका लेकिन ये भी गौरव और खुशी का पल है कि आज पूरा देश औऱ हस्तियां उनके बेटे के नाम को याद कर रही है. उनको, उनकी कुर्बानी को याद कर रही है.
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान
आपको बता दें कि देहरादून निवासी शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान मिला है तो वहीं मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को शौर्य चक्र से नवाजा गया. शहीद मेजर विभूति और चित्रेश बिष्ट इसी साल फरवरी में शहीद हुए थे। विएस ढौंडियाल मुठभेड़ के दौरान जबकि मेजर चित्रेश बिष्ट बम डिफ्यूज करते हुए शहीद हुए थे. जिसके बाद आज शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत ‘शौर्य चक्र’ मिला है। जबकि शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को मरणोपरांत ‘सेना मेडल’ मिला है।
नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हुए थे शहीद मेजर
आपको बता दें कि जब मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हुए उस दौरान उनके घर में उनकी शादी की तैयारियां चल रही थी. शहीद मेजर त्रितेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कालोनी के रहने वाले थे। बीती 16 फरवरी को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे। आतंकियों ने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था। सूचना मिलने पर सैन्य टुकड़ी ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर त्रितेश बिष्ट आइईडी डियूज्ड करने में महारथ हासिल थी। लेकिन इसी बीच आइईडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए। सेना का एक जवान भी इस ब्लास्ट में गंभीर रूप से घायल हुआ था।
घर में चल रही थी शादी की तैयारियां
मूलरूप से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पिपली गांव के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार दून में रहता है। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। शहादत के वक्त मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल थी। भारतीय सैन्य अकादमी से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर वह वर्ष 2010 में पास आउट हुए थे। मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी। मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च को होनी थी। शादी के कार्ड भी बंट चुके थे।
फक्र है औऱ सलाम है ऐसे बहादुर सैनिक बहादुर बेटे पर
घर का हर एक सदस्य सदमे में था. घर में बहू लाने की तैयारियां चल रही थी और बेटे की शहादत की खबर से हर कोई हिल गया. बेटे की शादी का सपना तो पूरा न हो सका लेकिन जो शहादत इन माता-पिता के बहादुर बेटे ने अपनी जान कुर्बान कर दी है उसे कोई न हीं भूल सकता. पूरे देश को आज उनपे फक्र है औऱ सलाम है ऐसे बहादुर जवान बहादुर बेटे पर.