देहरादून : आज के समय में हर कोई सरकारी नौकरी की तलाश में है…या हर कोई किसी जानी-मानी कंपनी में काम करना चाहता है यहां तक की नौकरी की तलाश में औऱ अच्छी सैलरी पैकेज के लिए लोग दूसरे देशों में जाकर नौकरी कर रहे हैं. जहां तभी-तभी किसी-किसी को पछताना भी पड़ता है. लेकिन देहरादून के सुमित ने इस सब से किनारा करते हुए मिसाल कायम की. जी हां सुमित ने लाखों की सैलरी का पैकज छोड़कर गरीबों की सेवा करना ज्यादा सही समझा. सुमिक के कामों के बारे में जानकर आप भी उसे सलाम करेंगे.
16 लाख के पैकेज को ठुकराया, आए देहरादून
हम बात कर रहे हैं देहरादून निवासी 23 वर्षीय सुमित कुमार की जो चन्द्रबनी-भुत्तोवाला के रहने वाले हैं। उन्होंने सबसे पॉलिटेक्निक किया और इसके बाद एमएससी फिजिक्स की पढ़ाई पूरी की. वहीं इसके बाद अपनी योग्यता के आधार पर फरीदाबाद में जेसीबी कंपनी में 16 लाख का पैकज मिला लेकिन यहां मन न लगता था क्योंकि सुमित अपनी पढाई के दौरान अधिकाँश समय कुष्ठ रोगियों के आश्रम में बिताता था जिससे उसके मन में कुष्ठ रोगियों के लिए कुछ खास करने की इच्छा थी.
पिता का कारोबार सम्भालने से किया इंकार
सुमित ने पैकेज को ठुकराते हुए उत्तराखंड देहरादून वापस आ गए. जिसके बाद घरवालों ने उनसे पिता के कारोबार में हाथ बंटाने को कहा लेकिन सुमित को कुछ औऱ ही करने की इच्छा मन में थी. सुमित ने कारोबार करने से साफ इनकार करते हुए गरीबों की मदद के लिए ‘अमूल्य जीवन विकास चेरीटेबल सोसाइटी’ का गठन किया। फिर जुलाई 2017 से सुमित अपने घर से ही गरीबों के की मदद के लिए लोगों के घरों से बची हुई दवाएँ एकत्रित करनी शुरू कर दी और उसे गरीबों में देने लगे। उनकी ये मुहिम रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ते चले गए इन लोगों में कई दवा कंपनियां, मेडिकल स्टोर और समाजेसेवी भी शामिल थे। इतनी ही नही सुमित के दवा बैंक से सैकड़ों गरीब और मजदूरों को न केवल दवाएं, बल्कि निश्शुल्क इलाज भी मिलता है। सुमित की इस मुहिम से जुड़कर कई चिकित्सक बिना शुल्क मरीज देखते हैं
घरवालों ने दिया साथ, घर बना मेडिकल स्टोर
सबके सहयोग से लोगों के घरों से दवाई इकट्ठी होने लगी और इनके मेडिकल स्टोरों और दुकानों में अलग से डिब्बे रखे गए जिनमे लोग अपनी दवाएं रख लेते थे। वहीं इसके बाद सुमित के परिवार ने भी उसका साथ देना शुरु कर दिया और पूरा घर दवाई की दुकान में बदल गया और अब सुमित के घऱवाले भी जरुरतमंदों की मदद में लगे रहते हैं। सुमित का कहना है कि उन्हें इस पूरे काम में बड़ी ख़ुशी मिलती है और अब उनका इसी तरह दूसरा लक्ष्य है रोटी बैंक बनाने का जिससे वो भूके लोगों की मदद कर सकें।