देहरादून : स्मार्ट सिटी, सुंदर देहरादून, काया पलटने वाला देहरादून, आओ उत्तराखंड-आओ देहरादून और देखो यहां की खूबसूरती लेकिन देहरादून की खूबसूरती पर तो भाजपाइयों ने बट्टा लगा रखा है। इन दिनों देहरादून की जो तस्वीर है उसकी चर्चाएं हर ओर है। खबर गली गली तक पहुंच गई है लेकिन शायद ये खबर नगर निगम और मेयर तक नहीं पहुंची इसलिए देहरादून को बदसूरत बनाने वाले पोस्टर्स अभी भी वहीं की वहीं हैं। नगर निगम भी चुप है शायद भाजपाइयों से डरा है या गहरी नींद में है। खुले आम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। खुलेआम एनएच एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है लेकिन कहां है पुलिस?
साइड बोर्ड पर हर ओर मेयर और भाजपाइयों के पोस्टर
सरकार पर्यटकों उत्तराखंड आने, पहाड़ों की रानी मसूरी आने का न्यौता देती है। मसूरी और धनौल्टी का रास्ता देहरादून से होकर गुजरता है लेकिन पर्यटक देहरादून में कन्फ्यूज हैं कि जाना कहां है। क्योंकि हर ओऱ देहरादून मेयर के पोस्टर लगे हुए हैं। साइन बोर्ड पर हर ओर मेयर और भाजपाइयों के पोस्टर लगे हैं। ऐसे में पर्यटक कैसे समझें और कहां जाएं क्योंकि भाजपाइयों की मेयर को जन्मदिन की बधाई देने का सिलसिला थमा नहीं है।
देहरादून के पोस्टरों से परेशान पर्यटक, नगर निगम को नहीं कोई सरोकार
जन्मदिन सबकी जिंदगी का एक खास दिन होता है लेकिन उसे इस तरीके से शहर भर को बताना और पर्यटकों को परेशान करना कहां तक सही है। नगर निगम को भी अब लगता है शायद जनता से कोई सरोकार नहीं है न ही पर्यटकों से। अतिथि देवो भव: कहा जाता है लेकिन यहां तो पर्टयकों को परेशान किया जा रहा है। आप देखेंगे अनलॉक-5 के बाद लोगों का उत्तराखंड आने का सिलसिला तेज हो गया है लोग देहरादून से होते मसूरी और धनौल्टी का रुख कर रहे हैं लेकिन उन्हें देहरादून में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वो भी मेयर के जन्मदिन वाले पोस्टर से। उत्तराखंड में भाजपाई अलग तरीके दंगई दिखा रहे हैं?
मेयर और भाजपाइयों के आगे नतमस्तक नगर निगम
देहरादून नगर निगम भी मेयर और भाजपाइयों के आगे नतमस्तक है। नगर निगम हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है भाजपाइयों के पोस्टर हाने का। सरकार का भी इस पर कोई जोर नहीं चल रहा है क्योंकि सरकार भी तो भाजपा की है। त्रिवेंद्र सरकार अनुशासन का पाठ पढ़ाती है औऱ लोगों ने अनुशासन का पालन करने को कहती है लेकिन उनके मेयर और उनके समर्थकों के इस काम से देहरादून के लोग इन दिनों परेशान है। देहरादून की खूबसूरती को बदसूरत कर दिया गया है। हर ओर साइन बोर्ड पर लगे मेयर और भाजपाइयों की पोस्टर की चर्चा है लेकिन नगर निगम सोया है।
खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है
खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है, खुले आम यातायात के नियमों को तोड़ा जा रहा है। साथ ही एनएच उल्लंघन किया जा रहा है लेकिन पुलिस कहां है। क्या पुलिस को पोस्टर नहीं दिख रहे। इस अपराध पर को मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था लेकिन पुलिस भी आंखें मूंदे हैं।
क्या नगर निगम भाजपाइयों से डर रहा है?
जब इस मामले के बारे में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय को बताया गया था तो उन्होंने तत्काल पोस्टरों को हटवाने की बात कही थी लेकिन नगर निगम ने अभी तक पोस्टरों को हटाने की जहमत नहीं उठाई। क्या नगर निगम भाजपाइयों से डर रहा है? क्या नगर निगम भाजपाइयों के कारण चल रहा है? क्या शहर के लोग टैक्स नहीं भरे? क्या लोग इसलिए टैक्स भरते कि उनके शहर को बदसूरत किया जाए?
पर्यटकों के लिए आफत बने भाजपाइयों के पोस्टर
एक ओर सरकार ने कोरोना काल में पर्यटकों को उत्तराखंड आने का न्यौता दिया लेकिन दूसरी ओर भाजपाई शहर में कोई ऐसी जगह नहीं छोड़ रहे हैं जहां मेयर के जन्मदिन का पोस्टर न हो। ऐसे में पर्यटक साइन बोर्ड को कैसे देखेंगे और कैसे अपने डेस्टिनेशन में पहुंचेंगे। ये साइन बोर्ड पर्यटकों के लिए आफत बन गया है। पर्यटकों को पता नहीं चल पा रहा है कि जाना कहां है और मुड़ना कहां है क्योंकि हर ओर सिर्फ मेयर औऱ भाजपाइयों के पोस्टर हैं।
सवाल ये है कि शहर की खूबसूरती जरुरी है या ये पोस्टर, सवाल ये है कि क्या नगर निगम भाजपाइयों के आगे नतमस्तक है? सवाल है कि क्या ये भाजपाइयों की दंगई है कि सरकार हमारी और शहर भी? देखना ये होगा कि आखिर पर्यटकों को कब तक भाजपाई यूं परेशान करते हैं! या क्या पता नगर निगम खबर पढ़ने के बाद जाग जाए।