देहरादून में भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में छात्रा के साथ स्कूल के ही कुछ छात्रों द्वारा गैंगरेप किया गया था और इस घिनौनी हरकत और अपराध को छुपाने में स्कूल प्रबंधन ने छात्रा को डराया धमकाया था साथ ही उसका गर्भपात कराया था. वहीं छात्रा की हालत बिगड़ने पर छात्रा ने पूरी आपबीती अपनी बहन को बताई थी और उसके बाद परिजनों को भी छात्रा के साथ हुए जघन्य अपराध की बात पता चली इसके बाद परिजन एसएसपी के पास पहुंचे और तहरीर दी.
वहीं इस पर तुरंत एक्शन लेते हुए छात्रों समेत स्कूल प्रबंधन के कुछ स्टाफ को भी गिरफ्तार किया गया था कुल मिलाकर 14 लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में हुई थी. वहीं अब छात्रा के कराए गए गर्भपात का घिनौना सच सामने आया है. ये बात सामने आई है कि कैसे इस अपराध को, गर्भपात को अंजाम दिया और छात्रा को धमकी दी गई जिसके बाद छात्रा चुर रही लेकिन तबीयत बिगड़ने पर सब आपबीती उसने बहन और परिजनों को सुनाई.
डॉक्टरों के मना करने पर स्कूल के स्टाफ ने ही छात्रा को काढ़ा पिलाया
अमर उजाला कि खबर के अनुसार बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि गर्भपात कराने के लिए पहले छात्रा को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था और डॉक्टरों के मना करने पर स्कूल के स्टाफ ने ही छात्रा को काढ़ा पिलाया था, जिससे उसका गर्भपात हो गया था। 14 अगस्त 2018 को हुई घटना को स्कूल प्रबंधन ने जानबूझकर छिपाकर रखा गया। इसमें प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। इसी आधार पर सभी को आरोपी बनाया गया था।
किशोर न्याय बोर्ड ने किया तीन को बरी
आपको बता दें कि गिरफ्तार हुए सभी आरोपियों में से तीनों बाल अपराधियों को सोमवार को किशोर न्याय बोर्ड ने बरी कर दिया है। इस प्रकरण में पुलिस दुष्कर्म के आरोप को साबित नहीं कर पाई। अभियोजन की ओर से पेश नौ गवाहों के बयान भी पूरे घटनाक्रम से मेल नहीं खाए। साक्ष्यों के अभाव और संदेह के आधार पर किशोर न्याय बोर्ड ने तीनों बाल अपराधियों को बाल सुधार गृह हरिद्वार से मुक्त करने के आदेश दिए।
रिपोर्ट में सिर्फ छेड़छाड़ की बात
आपको बता दें कि इस केस में बचाव पक्ष के अधिवक्ता सौरभ दुसेजा ने बताया कि अभियोजन के किसी भी गवाह के बयान घटनाक्रम से मेल नहीं खा सके। लिहाज यशदीप राउते की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने सोमवार को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। आपको बता दें कि बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष की गोपनीय रिपोर्ट भी अभियोजन के आरोपों को बल नहीं दे सकी। रिपोर्ट में कहीं भी दुष्कर्म का जिक्र नहीं था। इसमें केवल छेड़छाड़ की बात लिखी गई थी। ऐसे में यह बात सिद्ध नहीं हो सकी कि 14 अगस्त को छात्रा से दुष्कर्म हुआ था। वहीं किशोर न्याय बोर्ड में चल रहे इस मामले में तत्कालीन एसओ सहसपुर नरेश राठौर को गवाह नहीं बनाया गया था। जबकि, नरेश राठौर ने ही 16 सितंबर को पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया था। यही नहीं न पीड़िता की बहन और न ही उसकी सहेली को गवाह बनाया गया।