देहरादून : दिल्ली की एक निजी अस्पताल की जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए दून के शख्स के मामले में जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने जांच के आदेश दिए है। जांच के लिए डीएम ने सीएमओ को जिम्मा सौंपा है। डीएम का आदेश है कि वो ये स्पष्ट करेंगे कि आखिर दिल्ली के निजी अस्पताल ने कोरोना पॉजिटिव मरीज को आस पास रेफर न कर देहरादून को रेफर क्यों किया और साथ ही मानकों का पालन कराने की जगह उन्हें डिस्चार्ज क्यों कर दिया गया।जब कि इस महामारी के पूरी दुनिया जूझ रही है।
आपको बता दें कि बीते दिनों देहरादून के चमन विहार की गली नंबर 11 निवासी बुजुर्ग का दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में पेनक्रिएटिक कैंसर का पहले से उपचार चल रहा था। बीते 28 अप्रैल को वह इलाज के लिए दिल्ली गए थे। वहां 29 अप्रैल को उनकी कोरोना टेस्ट किया गया जहां रिपोर्ट पोजिटिव आई। वहीं उसी दिन वह देहरादून स्थित अपने घर के लिए वापस लौट आए।
जिलाधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव ने इसे बताई घोर लापरवाही
जिलाधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव ने इस घोर लापरवाही बताते हुए कहा कि अस्पताल ने मरीज के पॉजिटिव पाए जाने पर किन नियमों के तहत रेफर किया।। डीएम ने इसकी जांच सीएमओ से मांग है। डीएम ने इस मामले में दिल्ली के निजी अस्पताल ने किन नियमों की अनदेखी की क्योंकि अस्पताल या किसी सक्षम स्तर पर भी प्रशासन को केस पॉजिटिव आने और मरीज को डिस्चार्ज करने की जानकारी नहीं दी गई। रिपोर्ट में अगर अस्पताल की खामी पाई गई तो नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। जिलाधिकारी डॉ श्रीवास्तव ने इस मामले की जानकारी शासन को भी दे दी है ताकि उनके स्तर पर भी आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
मरीज को इधर से उधर क्यों घुमाया गया?
जिलाधिकारी ने इस घोर लापरवाही बताई. बड़ा सवाल ये है कि आखिर बुजुर्ग किसके सम्पर्क में आने से कोरोना से संक्रमित हुआ। उसकी ट्रेवल हिस्ट्री क्या है? ये बड़ी पहेली है जिसे सुलझा पाना बेहद मुश्कलि है। जानकारी के अनुसार करोना संक्रमित बुजुर्ग बीती 24 अप्रैल को पटेल नगर स्थित महंत इंद्रेश अस्पताल में गए थे औऱ उसके बाद 28 अप्रैल को उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल और फिर वहां कोरोना की पुष्टि होने पर दून लाया गया। इससे निजी अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर उन्होंने इतनी गंभीर बिमारी और वायरस की चपेट में आए मरीज को इधर से उधर क्यों घुमाया जबकि इस महामारी को लेकर नियम सख्त हैं।