देहरादून : एक बार फिर से देहरादून के पटेलनगर स्थित इंद्रेश अस्पताल की गुंडगर्दी और मनमानी सामने आई है. अस्पताल के डॉक्टर पर लापरवाही और मरीज को बेवकूफ बनाकर पैसे एंठने का मामला सामने आया है. ये पहला मामला नहीं है जब इंद्रेश अस्पताल से ऐसा मामला सामने आया है बल्कि इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. इंद्रेश अस्पताल की मनमानी और डॉक्टर के कारनामे को एक फेसबुक यूजर ने फेसबुक पर शेयर किया है और दोस्त के लिए इंसाफ की गुहार लगाई है.
फेसबुक पर पोस्ट 6 घंटे पहले शेयर की गई है. मामला बच्चे की मौत और माता-पिता को गुमराह करने का है. जहां माता-पिता को गुमराह कर पैसे एंठने की करतूत अस्पताल के डॉक्टर ने की. फेसबुक पर मृतक बच्ची के पिता ने भी इंसाफ की गुहार लगाई है साथ ही उनके साथ उनके दोस्त भी दोस्त को इंसाफ दिलाने की कोशिश में है.
बच्ची के पिता का नाम केसर सिंह है. केसर सिंह के दोस्त ADV प्रदीप वर्मा ने भी दोस्त के लिए इंसाफ मांगा है. प्रदीप वर्मा ने फेसबुक पर लिखा कि 28 सितम्बर की बात है मेरे मित्र केशर जी अपनी प्रेंग्नेंट पत्नी को डिलीवरी के लिए इंद्रेश हॉस्पिटल ले कर गए जहां डॉ द्वारा बड़े ऑपरेशनद्वारा पुत्री को जन्म दिया। परिवार के लिए
बहुत खुशी की बात रही, बेबी स्वस्थ थी दो दिन तक मूमेंट कर रही थी, तीसरे दिन डॉ बेबी के पिता केशर से फोन पर बात करके कहते हैं कि आपकी बेबी अभी पूर्ण रूप से सक्षम नही है अनकॉम्प्लीट है ,इन्हें एक इंजेक्शन लगेगा उससे बेबी पूर्ण हो जाएगी कंप्लीट हो जाएगी आप वो इंजेक्शन लगवा लीजिए, केशर इंजेक्शन के लिए जाता है तो कुछ पैसे जमा होने पर कुछ पैसे जमा न होने पर डॉ पीयूष जी बच्ची का इलाज 6 घण्टे लेट करते हैं, ये सभी बातें फोन पर होती है जबकि केशर उसी हॉस्पिटल में मौजूद होते हैं, दो दिन तक न बेबी से मिलने दिया गया न ही कुछ कहा गया जब भी पूछा कैसा है हमारा बच्चा तो डॉ कहते हैं कोई दिक्कत नहीं है बच्चा स्वस्थ हैं, अचानक 30 तारीख को समय 12 बजे दिन में कहते हैं हम आपके बच्चे को नही बचा पाए आप अपने बच्चे की बॉडी को यहां से ले कर जायँ, बिना कुछ एक्सप्लेन किये हुए कि बच्चे को हुआ क्या, ओर पिता के न देखे बिना ही मृत बेबी की बॉडी को अपने ही तरफ से पैक भी कर देतें है जबकि पिता ने दो दिन अपनी बेबी को स्वस्थ देखा क्रियाएं करते देखा , अचानक से ये सब कैसे हुआ समझ से बाहर है दूसरी तरफ उनकी पत्नी भी MICU में उसी हॉस्पिटल में भर्ती है वो भी बेसुद है, उनकी स्थिति भी ठीक नही है, मुझे 5 बजे फोन आता है कि ये सब बातें हैं, मैं हॉस्पिटल पहुंचता हूँ डॉ से स्टाप से जानने की कोशिश करता हूँ हुआ क्या ऐसा कैसे हुआ तो कहते हैं जो होना था हो गया उसमे हम क्या कर सकते हैं, आप बॉडी को लेकर जाईये, हमारे ओर पेसेंट को दिक्कत हो रही है क्योंकि अब वो डैड हो चुकी है वो इन हॉस्पिटल वालो को इनकम देने में से नहीं रही, इन्हें इंसान से नही पैसों से मतलब है, जब बहुत बहस हुई तो फिर मैंने 100 नम्बर पर कॉल करके पुलिस को बुलाया. सबके सामने बातें रखी उनके MS अधिकारी के सामने वो जिन्होंने बेबी का इलाज किया. डॉ पीयूष जी व उनका सभी स्टाप, पुलिस प्रशासन व 12 व 15 लोगों के सामने डॉ कहता है बेबी को इलाज 6 घण्टे लेट दिया गया क्योंकि फीस जमा नही थी इसलिए हम उसे नहीं बचा पाए तो इन हरामजादों के लिए पैसा इम्पोर्टेन्ट है इंसान नही, इनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए रात को 11 बजे रिपोर्ट दर्ज की गई डॉ को जेल होनी चाहिए जब तक डॉ पीयूष को हिरासत में नही नही लिया जाता जेल नही भेजा जाता डैड बॉडी को तब तक अस्पताल के ही निगरानी में रहेगा, ।
आप सभी से निवेदन है कि माता पिता के दुःख की इस घड़ी में उनके साथ खड़े होने की कृपा करें, इन्द्रेश हॉस्पिटल के सभी डॉ को नसीहत मिलनी चाहिये, इन्होंने अस्पताल को मौत का अस्पताल बना कर रख दिया व कमाई का कारोबार बना रखा है।
घटना स्थल पर शाम 5 बजे से रात 2 बजे तक उपस्थित रहे।
1 प्रदीप वर्मा सामाजिक कार्यकर्ता जिनके द्वारा 100 नम्बर पर कॉल करके पुलिस प्रशासन को बुलाया गया।
2 श्री मान दौलत कुंवर जी सामाजिक कार्यकर्ता।
सुनील, मनोज, शिव कुमार , व अन्य
पुलिस प्रशासन मौजूद रहे।