देहरादून : कहते हैं सेना में जाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाना और देश की रक्षा के लिए तत्पर रहना उत्तराखंडियों के रग-रग में बसा है…अभी तक कई जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी तो कई संख्या में जवान अभी भी सीमा पर तैनात है और देश के लिए लड़ रहे हैं. वहीं अब महिलाएं भी सेना में जाने के लिए तत्पर है. किसी ने देश की रक्षा की ठानी तो किसी ने अपनों की शहादत का बदला लेने औऱ उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए वर्दी को चुना.
वर्दी पहनकर पति को दी सच्ची श्रद्धांजलि
वहीं कुछ ऐसा कर दिखाया देहरादून की संगीता मल्ल ने. जी हां संगीता मल्ल ने पति की शहादत के बाद उन्हे वर्दी पहनकर सच्ची श्रद्धांजलि दी. देहरादून की संगीता ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर बतौर लेफ्टिनेंट सेना में अफसर बन गई हैं। पीओपी में देश-विदेश के 172 जेंटलमैन कैडेट पास आउट हुए।
संगीता के पति 2015 में हो गए थे शहीद
आपको बता दें संगीता मल्ल देहरादून चंद्रबनी की रहने वाली हैं। संगीता के पति शिशिर मल्ल 2 सितंबर 2015 को जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हो गए थे। उस दौरान वह राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। गोरखा राइफल के जवान राइफलमैन शहीद शिशिर मल्ल को मरणोपरांत सेना मेडल से नवाजा गया। पति की शहादत का बदला संगीता ने वर्दी पहनकर दिया.
ऐसी है उनकी लव स्टोरी
संगीता औऱ शिशिर दोनों एक-दूसरे को स्कूल टाइम से ही पसंद करते थे औऱ कॉलेज में भी साथ पढ़े. जिसके बाद संगीत शिक्षिका बन गई और शिशिर सेना में भर्ती हो गए। इसके बाद दोनों ने 2013 में शादी कर ली। शादी के दो साल बाद ही शिशिर दो सितंबर 2015 को बारामूला सेक्टर में शहीद हो गए।
बैंक औऱ सेना दोनों में एक साथ चयन
लेकिन संगीता ने हार नहीं मानी…संगीता ने बैंक और सेना दोनों के लिए परीक्षा दी और दोनों ही जगह पर उनका चयन भी हो गया, लेकिन उन्होंने सेना ही ज्वाइन करने का फैसला किया। वहीं 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद संगीता सेना में अधिकारी बनी और तन में वर्दी पहनी. संगीता की सास, माता-पिता, देवर और ननद भी पासिंग आउट परेड में मौजूद रहे।
सेना से पुराना नाता
बता दें संगीता के स्व. ससुर सुरेश मल्ल भी सेना से ऑनरेरी कैप्टन रैंक से रिटायर हुए थे। संगीता के पिता भगवान सिंह भी सेना के रिटायर ऑनरेरी कैप्टन हैं। वहीं देवर सुशांत मल्ल भी सेना में हैं।