देहरादून : सरकारी दून अस्पताल में एक बार फिर अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही का खामियाजा एक मासूम नवजात बच्ची को भुगतना पड़ा. नवजात बच्ची को जन्म के 36 घंटे तक न मां का दूध नसीब नहीं हुआ. इस घटना से लोगों के मन में बेटी के प्रति कितनी नफरत और कितना प्यार है इसका पता चलता है. जब ये खबर लोगों को पचा चली औऱ मीडिया के जरुए खबर फैली तो जिसने भी इसके बारे में सुना हक्का-बक्का रह गए.
एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत लोगों को जागरुक करने का काम कर रही है और लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन वहीं दूसरी ओर लोग सिर्फ बाहरी दिखावा कर अभी भी दिल में सिर्फ बेटे की ही चाह लिए हैं.
दोनों परिवार बेटी को अपना मानने को तैयार नहीं
दरअसल दून महिला अस्पताल में मंगलवार को बच्चे बदलने का आरोप लगाते हुए परिजनों ने जनकर हंगामा किया. आरोप लगाया था कि सुबह उन्हें बताया गया कि बेटा हुआ है और शाम होने तक बेटी होने की बात बताई गई। पहले जब मैंने उनसे बच्चे को देखने की इच्छा जाहिर की थी तो उन्होंने कहा था कि उसे सांस नली में परेशानी के चलते आईसीयू में रखा गया है। लेकिन अब बच्ची को दोनों परिवार अपनी बेटी मानने को तैयार नहीं हैं। बेटी को दूध कौन पिलाएगा, उसकी देख-रेख कौन करेगा, यह सवाल अब अस्पताल प्रशासन के सामने भी आ खड़ा हो गया है। दोनों में से कोई भी परिवार उस बेटी की तरफ झांकने तक नहीं जा रहा है।
वही पीड़ित उमेश ने बताया की कल के दिन अस्पताल की तरफ से किसी ने बच्ची को दूध पिलाने के नहीं कहा गया था और आज कहा गया तो मेरी पत्नी ने बच्ची को दूध पीला दिया.
एक नाम की दो महिलाएं होने से कन्फ्यूजन
दून हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल में एक ही नाम की दो महिलाएं थीं जिन्होंने लगभग एक ही समय पर मंगलवार को बच्चों को जन्म दिया जिस कारण कन्फ्यूजन हो गई थी। हालांकि, आरती ने आरोप लगाया है कि अस्पताल उनके साथ धोखा कर रहा। उन्होंने अपना बच्चा वापस मांगा है।
दोनों परिवारों को डीएनए रिपोर्ट का इंतजार
वहीं दोनों परिवार बेटे पर दावा जताकर डीएनए जांच कराने पर अड़े हैं। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केके टम्टा ने बताया दोनों का महिला का नाम एक समान है और बच्चे अलग अलग समय पर पैदा हुए है और आगे की जाँच डीएनए द्वारा की जाएगी. चिकित्सा अधीक्षक ने भी माना है की बच्ची ने कल दूध नहीं पीया और अस्पताल की तरफ से ही बच्ची को खाद्य सामग्री दी गई थी.