देहरादून : उत्तराखंड के स्कूलों की मनमानी और क्रूर व्यवहार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. और छात्रा के साथ उत्पीड़न औऱ यौन शोषण के भी मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बात करें देहरादून की तो पहले जीआरडी स्कूल में जघन्य अपराध सामने आया और उसके बाद पेस्टलवीड स्कूल का लेकिन अब आज एक बार फिर देहरादून का जाना माना स्कूल भी विवादों में आ गया है.
15 साल की बच्ची का प्रिंसिपल पर आरोप
जी हां जोशीमठ निवासी एक 15 साल की बच्ची ने देहरादून के केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी की प्रिंसिपल पर बाल मज़दूरी कराने का आरोप लगाया है. साथ ही इसकी शिकायच बाल आय़ोग से की. बच्ची ने साथ ही कहा कि प्रिंसिपल द्वारा बाल मजदूरी और मारपीट की जाती है. इसके बाद बाल आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखकर बच्ची की शिकायत पर जीरो एफआईआर दर्ज करने की मांग की.
पढ़ाने के नाम पर केंद्रीय विद्यालय की प्रिंसिपल उसे देहरादून अपने घर ले गई थीं- छात्रा
बच्ची ने बाल आयोग से शिकायत करते हुए पत्र में लिखा कि पढ़ाने के नाम पर केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी के प्रिंसिपल उसे देहरादून अपने घर ले गई थीं, जहां उससे घर का काम करवाया जाता था और मारपीट की जाती थी. जैसे-तैसे पीड़िता किसी तरह वहां से भाग निकली. साथ ही आरोप लगाया कि 4 महीने से देहरादून और जोशीमठ पुलिस मामले की एएफआईआर दर्ज नहीं कर रही थींं. बच्ची ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग से ये बात कही.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी का बयान
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया और कहा कि शिकायत मिलने के बाद उन्होंने तुरंत चमोली की एसपी से बात की थी. उन्हें इस मामले की जानकारी तो थी लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की थी. इस पर आपत्ति जताते हुए डीजीपी को पत्र लिखा गया है. आपको बता दें बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दखल के बाद मामला दर्ज कर देहरादून ट्रांसफर कर दिया गया.
ऊषा नेगी ने डीजीपी को लिखा पत्र
डीजीपी को लिखे पत्र में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने कहा है कि राज्य के सभी एसएसपी, एसपी, सीओ सिटी, थानेदारों को निर्देश दिए जाएं कि वे ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से लें और किसी भी सूरत में एएफआईआर दर्ज करें. ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस क्या कार्रवाही कर रही है उस पर भी उनकी नजरें रहेंगी.