देहरादून- उत्तराखंड परिवहन विभाग में बीते दिनों हुए लाखों रुपये के घोटाले के बाद बड़ा फैसला लिया गया. जी हां अब जल्द टिकट मशीने से सांसद और विधायक को श्रेणी से हटाने का फैसला किया गया है। परिवहन निगम के मुख्यालय में आयोजित एक बैठक में संयुक्त परिषद ने अधिकारियों के सामने ये प्रस्ताव रखा।
सांसद और विधायक बसों में अमूमन यात्रा नहीं करते
संयुक्त परिषद के इस प्रस्ताव को अधिकारियों की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद सरकार इस पर अंतिम निर्णय लेगी। बैठक में कहा गया कि सांसद और विधायक बसों में अमूमन यात्रा नहीं करते। यदि किसी सूरत में वे यात्रा करते है तो मार्ग-प्रपत्र में परिचालक उसी दौरान उनकी यात्रा की एंट्री दर्ज कर देंगे।
गौरतलब हो कि इस घोटाले से संविदा और विशेेष श्र्णी के परिचालकों पर पर्खास्तगी की गाज गिरी थी. जिससे रोडवेट यूनियन में रोष उत्पन्न हो गया था. फैसले के विरोध में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बुधवार शामे ही छह डिपो बंद कर दिए थे और गुरुवार से पूरे प्रदेश में डिपो और कार्यशालाओं में काम बंद करने का एलान किया था। इसी तरह से उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन भी हाईकोर्ट गई हुई है। यूनियन ने गुरुवार आधी रात से हड़ताल का एलान किया था। इसी बीच मुख्यालय में गुरुवार दोपहर परिषद के प्रतिनिधिमंडल को समझाने के लिए बुलाई। दो मई का आंदोलन स्थगित
हालांकि हाईकोर्ट का निर्णय न आने पर यूनियन कर्मचारियों ने भी हड़ताल एक दिन के लिए टाल दी.
महाप्रबंधक दीपक जैन की अध्यक्षता में हुई में परिषद के महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी ने टिकट मशीन से सांसद-विधायक कोटे को हटाने, निकाले गए परिचालकों को बहाल करने और डीबीटी योजना लागू करने की मांग की है।
महाप्रबंधक ने बताया कि निकाले गए सभी परिचालक अपील कर सकते हैं। प्रबंध निदेशक बृजेश संत एक मई तक अवकाश पर हैं। महाप्रबंधक ने बताया कि उनके लौटने के बाद दो मई को इस संबंध में फिर बुलाई जाएगी और कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। इस समझौते के साथ परिषद ने अपना आंदोलन दो मई तक के लिए स्थगित कर दिया।