देहरादून: तेदुओं में एक खतरनाक ट्रेंड यह है कि वो जब किसी आदमी को खून चख लेते हैं। या एक बार शिकार कर लेते हैं, तो आदमखोर बन जाते हैं। उत्तराखंड में लगातार तेंदुए और बाघ के हमले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले पांच साल में अकेले तेंदुओ ही 20 लोंगों को मौत दे चुका है। तेंदुए के हमलों में कई लोग घायल होकर अपंग हो चुक हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट में सरकार रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि मोतीचूर रेंज के देहरादून-हरिद्वार हाईवे और आबादी वाले क्षेत्र रायवाला, हरिपुरकलां, प्रतीत नगर और मोतीचूर जैसे बड़े कस्बे इसकी सीमा से लगे हैं। गांवों का रास्ता भी पार्क के बीच से गुजरता है। भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि 10 किमी के इस क्षेत्र में 40 तेंदुए घूम रहे हैं। इनमें से 19 तेंदुए रिहायशी इलकों के आसपास हैं।
वन विभाग और इससे जुड़े दूसरे विभागों को इस बात की चिंता सता रही है कि इस स्थिति में कैसे मानव वन्यजीव संघर्ष को रोका जाये। लगातार बढ़ती घटनाओं को रोक पाना मुश्किल हो रहा है। खतरा ये है कि अगर किसी तेंदुए ने किसी पर हमला किया और शिकार बना लिया, तो तेंदुए के आदमखोर होने से कोई नहीं रोक पाता। इससे घटनाएं भी होने लगती हैं।