नैनीताल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए राज्य के मंदिरों में दलितों के पुजारी बनने से रोके जाने की प्रथा को गलत करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ब्राह्मण पुजारी एससी एसटी समुदाय के लोगों की पूजा करवाने से मना नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर में पुजारी की जाति नहीं बल्कि योग्यता मानक है। कोर्ट ने किसी को मंदिर में प्रवेश से रोके जाने को भी गलत बताया है।
जज राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए हैं। दरअसल राजस्थान के पुखराज व अन्य ने हरिद्वार के रविदास मंदिर को लेकर एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में मंदिर की सीढ़ियों के निर्माण में हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया गया था। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य के कई मंदिरों में दलितो के प्रवेश और पुजारी न बनने दिए जाने के साथ ही पूजा न करवाए जाने का मसला भी उठा।
इसी के बाद कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाले से निर्देश दिया है कि पुजारी बनने के लिए जाति नहीं योग्यता जरूरी होती है। इसके साथ ही न मंदिरों में दलितों का प्रवेश रोका जा सकता है और न ही दलितों की पूजा कराने के ब्राह्मण पुजारी मना कर सकता है।