पौड़ी : कोरोना महामारी के कारण देशभर के मंदिर और धार्मिक आयोजन बंद हैं। उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट तो खोले गए, लेकिन वहां केवल नियमित पूजा के लिए परंपराओं को निभाया जा रहा है। इसके अलावा राज्य के अन्य मंदिर और विभिन्न क्षेत्रों में लगने वाले मेले स्थगित हो गए हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक मेला पौड़ी जिले के कल्जीखाल में भी लगता था, जो इस बार नहीं होगा। खास बात यह है कि इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब करीब 469 सालों में यह मेला आयोजित नहीं किया जाएग।
कल्जीखाल ब्लाक का प्रसिद्ध खैरालिंग महादेव मंदिर में लगने वाला ऐतिहासिक मुंडनेश्वर मेला नहीं होगा। 469 वर्षों में पहली बार मेले के आयोजन को स्थगित किया गया है। मंदिर समिति ने कोरोना संक्रमण के फैलने के खतरे को देखते हुए यह निर्णय लिया है। 1551 से लगातार प्रतिवर्ष खैरालिंग महादेव और काली मंदिर में छह और सात जून को भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में हजारों की तादात में क्षेत्र के स्थानीय और प्रवासी श्रद्धालु एकत्र होते हैं। पूर्व में मेले के दौरान बड़ी संख्या में मंदिर में बलि चढ़ाई जाती थी, लेकिन कुछ वर्षों से यहां बलि प्रथा बंद कर दी गई है।
अब यहां श्रीफल से पूजा की जाती है। अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण 469 वर्षों में यह पहला मौका है, जब मेले के आयोजन को स्थगित कर दिया गया है। मंदिर समिति के अध्यक्ष बलवंत सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी पर भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए इस वर्ष खैरालिंग महादेव और काली मंदिर में आयोजित मुंडनेश्वर भव्य मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। छह और सात जून को होने वाले मेले के दिन मात्र मंदिर के पुजारी द्वारा खैरालिंग महादेव और मां काली की पूजा अर्चना कर भगवान को भोग प्रसाद चढ़ाया जाएगा। मंदिर में श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी रहेगी।