नई दिल्ली : पूरी दुनिया इस वक्त COVID-19 महामारी से जूझ रही है। इस वजह से रैपिड ऐंटीबॉडीज टेस्ट, आरटी-पीसीआर टेस्ट, हॉटस्पॉट्स और कंटेनमेंट जोन जैसे मेडकल शब्द भी आजकल चर्चा में हैं। डॉक्टरों या मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए तो ये सामान्य शब्द की तरह ही हैं लेकिन आम लोगों के लिए ये शब्द नए जैसे हैं। भारत में कोविड-19 की जांच के लिए दो तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं- आरटी-पीसीआर टेस्ट और रैपिड ऐंटीबॉडीज टेस्ट। पहले बात करते हैं आरटी-पीसीआर टेस्ट की।
इसका मतलब है रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेस चेन रिएक्शन (RT-PCR) टेस्ट। यह एक ऐसी लैब टेक्निक है जिसमें आरएनए के डीएनए में रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन को जोड़ते हुए वायरस का पता लगाता है। दूसरी तरफ ऐंटीबॉडी टेस्ट में ब्लड का इस्तेमाल होता है ताकि वायरस के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया का पता लगाया जाए। आरटी-पीसीआर में इस बात की जांच की जाती है कि वायरस मौजूद है या नहीं। इसके लिए व्यक्ति के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट, थ्रोट स्वैब या नाक के पीछे वाले गले के हिस्से से सैंपल लिया जाता है।
इसके नतीजे आने में 12 से 24 घंटे का वक्त लगता है।आरटी-पीसीआर टेस्ट टाइम भी लेता है और यह महंगा भी है। इसका किट महंगा होता है। वह आगे कहते हैं, ‘दूसरी तरफ, रैपिड ऐंटीबॉडीज टेस्ट कम खर्चीला है और इसके नतीजे सिर्फ 20 से 30 मिनट में आ सकते हैं। इस टेस्ट में यह जांचा जाता है कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रति शरीर के ऐंटीबॉडीज के रिस्पॉन्स कर रहे हैं या नहीं।’ अगर ऐंटीबॉडीज का रिस्पॉन्स दिखता है तो इसका मतलब है वायरस का संक्रमण।