क्या इस दुनिया में अब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है? क्या इतना विकसित हो चुका चिकित्सा जगत अब तक कोरोना जैसी बीमारी के लिए दवा नहीं इजाद कर पाया? यकीनन आपके दिमाग में भी ऐसे सवाल उठते होंगे। तो चलिए आपको बताते हैं कि आपके जेहन में उठने वाले इन सवालों का जवाब क्या है।
दरसअल दुनिया में समय समय पर नई तरीकों की बीमारियों का उद्भव होता रहता है। जैसे HIV का हुआ था कुछ सालों पहले। ये बीमारियां दुनिया के किसी भी कोने में उत्पन्न हो सकती हैं। सामान्य भाषा में नयी बीमारियों का उत्पन्न होना वायरस के रूप बदलने से जुड़ा हुआ है। इन वायरस के इंसानी शरीर में प्रवेश करने के बाद इनका स्वरूप सामने आता है। मसलन इनसे क्या क्या परेशानियां पैदा हो रहीं हैं, किन इलाकों में ये अधिक फैल रहा है। अब जब वैज्ञानिकों को ये सब पता चलेगा तभी तो इस मर्ज की दवा बनाई जाएगी।
ठीक यही कोरोना में हो रहा है। चूंकि अब से पहले दुनिया ने कोरोना वायरस के बारे में इतना अध्ययन नहीं किया था लिहाजा इसका वैक्सिनेशन तैयार करने में समय लग रहा है।
कितना समय लगेगा?
अब सवाल ये कि कितना समय लगेगा? तो सामान्य तौर पर किसी मर्ज की दवा प्रयोगशाला में तैयार करने से लेकर दवा की दुकान तक पहुंचने में मोटा मोटी एक दशक यानी 10 साल तक का समय लग सकता है। समय इससे अधिक भी हो सकता है। अब आप पूछेंगे कि इतना समय क्यों? तो इतना समय इसलिए क्योंकि दवा के प्रयोगशाला में तैयार होने में ही कई हफ्तों का समय लग जाता है। ये दवा वायरस से ही तैयार की जाती है और इंसानी शरीर में यही वायरस शरीर की प्रतिरोधक शक्तियों को बाहर से आने वाले वायरस से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इसके बाद दवा का इंसानों पर शुरुआती परीक्षण होता है। इसके लिए वॉलेंटियर्स तैयार करने पड़ते हैं। ये समय भी कई हफ्तों का होता है। इसके बाद फिर से इसे कमर्शियल बेसिस पर उपलब्ध कराने के लिए तैयार करना होता है। कई हफ्तों की शोध के बाद कहीं ये संभव हो पाता है।
इसके बाद फिर से इसका परीक्षण सामान्य मरीजों पर होता है। जाहिर है ये परीक्षण करने और उनके रिजल्ट देखने में कई कई महीनों का समय गुजर जाता है।
तो क्या कोरोना के मामले में भी…
घबराइए मत, कोरोना के मामले में वैक्सिनेशन के जल्द तैयार हो जाने की संभावना है। हालांकि ये जल्द भी तकरीबन डेढ़ से दो साल का वक्त ले सकता है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इसपर तेजी से काम शुरु कर दिया है। कुछ प्रयोगशालाओं में काम काफी आगे बढ़ चुका है लेकिन बावजूद दवा के सभी के लिए उपलब्ध में दो साल तक का समय लग सकता है। तब तक डाक्टर्स अलग अलग दवाओं के कॉम्बिनेशन का इस्तमाल कर इसका इलाज करने की कोशिश करने में लगे हैं।