चीन के वैज्ञानिकों ने दो अस्पतालों और वुहान के कुछ सार्वजनिक जगहों का अध्ययन करने के बाद दावा किया कि हॉटस्पॉट वाली जगहों की हवा में भी वायरस के अनुवांशिक तत्व मिले हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि इससे संक्रमण फैलता है या नहीं। वैज्ञानिकों ने 31 जगहों से 40 नमूने लिए थे। वुहान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि सरकारों को हॉटस्पॉट के सैनिटाइजेशन, बेहतर वेंटिलेशन का विशेष ध्यान रखने के साथ ही भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी है।
अब तक सार्स-कोव-2 आरएनए सिर्फ संक्रमित के संपर्क या उसके छींकने से निकले रोगाणुओं के सांस में प्रवेश से फैलने की जानकारी थी। टीम ने फरवरी और मार्च में दो अस्पतालों के बाहर से हवा के नमूने लिए थे। इसमें पाया गया था कि हवा की आवाजाही वाले स्थानों में कम और बिना वेंटिलेशन वाली जगह की हवा में अधिक वायरस मिले हैं।
अमर उजलाला की रिपोर्ट के अनुसार शोध में पाया गया कि उन जगहों पर जहां भीड़ अधिक रहती थी वैसे अस्पताल के बरामदे और अस्पतालों के बाहर की हवा में वायरस के अंश अधिक पाए गए। इसमें खासकर उन जगहों पर भी वायरस के अंश अधिक मिले जहां स्वास्थ्य कर्मी अपनी सुरक्षा किट उतारते थे। जिससे यह संकेत मिलते हैं कि इन कपड़ों को उतारते वक्त बड़ी मात्रा में वायरस हवा में पहुंचता है और वहां ठहरा रहता है।