लखनऊ : संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मॉलिक्युलर मेडिसन ऐंड बायोटेक्नॉलजी विभाग के पूर्व प्रफेसर डॉ. मदन मोहन गोडबोले का अनुमान है कि अब कोरोना अपनी कमजोर स्थिति में पहुंच रहा है। भले ही इसका प्रकोप और मरीजों की संख्या बढ़ेगी, पर मौतें उतनी नहीं होंगी। वह बताते हैं कि इस वक्त ज्यादातर वैज्ञानिक वैक्सीन और दवाइयों की खोज में व्यस्त हैं। इस बीच लोगों को यह डर सता रहा है कि अब अनलॉक-1 शुरू होंने के बाद क्या होगा। चूंकि लोगों की भीड़ सड़क-दफ्तरों में बढ़ रही है तो क्या संक्रमण और मौतों की संख्या बढ़ सकती है। जवाब वैज्ञानिकों ने दिया है.
NBT की रिपोर्ट के अनुसार वायरस को दो तरह से देख जा सकता है। एक वह वायरस, जो ज्यादा खतरनाक या जानलेवा है और दूसरा वह जो कम खतरनाक है। खतरनाक वायरस का प्रसार कम लोगों तक होता है और उसकी प्रतिस्पर्धा कम खतरनाक वायरस होती है। इवॉल्यूशन थ्योरी कहती है इस प्रतिस्पर्धा में कम खतरनाक वायरस इसलिए जीत जाता है क्योंकि वह ज्यादा दिन तक अपना भोजन बचाना चाहता है। उसका भोजन मनुष्य और पशुओं पर ही निर्भर है और वह नहीं चाहता कि यह भोजन समाप्त हो जाए। इस वजह से कम खतरनाक वायरस ज्यादा से ज्यादा लोगों में प्रसारित होने के बावजूद उन्हें मारता नहीं है।
प्रफेसर गोडबोले के मुताबिक, अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कम खतरनाक वायरस ज्यादा खतरनाक वायरस पर हावी हो जाते हैं। इसके बाद केवल कम खतरनाक वायरस बचता है। भले ही उसके संक्रमण के प्रसार की तादाद ज्यादा मरीजों में दिखे, लेकिन वह ज्यादा नुकसान किए बिना चला जाता है। एकबार शरीर में दाखिल होने के बाद वह लोगों में प्रतिरक्षण क्षमता भी पैदा करता है। इससे मनुष्य भी भविष्य में वायरस से बेअसर हो जाते हैं। प्रफेसर गोडबोले का अनुमान है कि अब नए केस तो खूब बढ़ेंगे लेकिन उनसे होने वाली मौतें उतनी नहीं होंगी।