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देहरादून : एक तरफ उत्तराखंड में सत्ताधारी पार्टी 2022 के लिए अपनी तैयारियों में जुटी है और सीएम प्रदेश भर में दौरा लोगों के बीच जाकर सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पार्टी के ही विधायक और कार्यकर्ता सीएम की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। भाजना में अपने ही विधायकों के खिलाफ कार्यकर्ताओं के बगावती तेवर नजर आ रहे हैं।
बता दें कि पहले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोला और शिकायत की तो वहीं ये मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि धर्मपुर विधायक विनोद चमोली के खिलाफ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने झंडा बुलंद कर दिया है। धर्मपुर विधानसभा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल की अध्यक्ष पूनम ममगाईं समेत 3 ने विधायक के रवैये से खफा होकर इस्तीफा महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट को सौंप दिया है। इसके बाद बीजेपी के अंदर बगावत को लेकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में अब कम ही समय बचा हुआ है। ऐसे में बीजेपी सत्ता में दोबारा वापसी के लिए कई तरह की रणनीति पर काम कर रही है। नए सीएम कमान संभाले हुए हैं लेकिन इस पर विधायक ही पानी फेरने का काम कर रहे हैं। हाईकमान को उमेश काऊ प्रकरण की जानकारी है जिसकी जांच चल रही है। लेकिन चुनावी साल में बीजेपी के लिए विधायक और कार्यकर्ताओं के बीच खींचतान बढ़ने लगी है। हाल ही में रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ का अपने ही कार्यकर्ता के साथ विवाद का वीडियो वायरल हुआ। जो कि दिल्ली हाईकमान के दरबार तक पहुंचा।
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विधायक चमोली पर कार्यकर्ताओं से अभद्रता करने का आरोप
उमेश काऊ मामले की जांच की जा रही है। तभी इस बीच एक और मामला सामने आने से भाजपा में हड़कंप मचा हुआ है। धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बगावत कर दी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल अध्यक्ष पूनम ममगाईं के साथ ही मंडल उपाध्यक्ष अनुज वालिया और महामंत्री जितेंद्र रावत ने भी दिया अपना इस्तीफा सौंपा है। उन्होंने विधायक चमोली पर कार्यकर्ताओं से अभद्रता करने का आरोप लगाया है।
इस पर विधायक विनोद चमोली का कहना है कि जो भी बात है, पार्टी फोरम में रखी जाएगी। मैं पार्टी का एक कार्यकर्ता हूं। पार्टी अपने स्तर से इस प्रकरण को देख रही है।