अक्सर आपको अपने पसीने की कमाई से खरीदे गए सामान को घर तक लाने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। मतलब सीधा है कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स, ब्रांडेड शोरूम्स, मॉल्स में जब आप जाते हैं और सामान खरीदते हैं तो खरीदे हुए सामान को घर तक लाने के लिए आपको जो कैरी बैग लेना होता है कि शोरूम वाले उसका भी पैसा चार्ज कर लेते हैं। अब ये तीन रुपए, पांच रुपए, दस रुपए या अधिक भी हो सकते हैं। आपको मजबूरन ये कैरी बैग खरीदना भी पड़ता है क्योंकि सामान लेकर जाएंगे कैसे। तो कुल मिलाकर शोरूम वाले कैरी बैग बेचकर भी कमाई कर लेते हैं।
तो अब काम की बात सुनिए। चंडीगढ़ में एक शख्स को मजबूरी में खरीदे गए तीन रुपए के बैग के बदले 4000 रुपए का मुआवजा मिला है। दरअसल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं दिनेश रतूड़ी। दिनेश ने हाल ही में बाटा शोरूम से जूते खरीदे, जूते खरीदने के बाद उन्हें जूते घर तक लाने के लिए बाटा वालों ने एक कैरीबैग बेच दिया। दिनेश ने इस मसले पर शोरूम में विरोध जताया, उन्होंने तीन रुपए वापस मांगे। पर बाटा वालों ने जबरन तीन रुपए का बैग बेच दिया। कैरीबैग पर बाटा का लोगो भी बना था। मतलब बाटा अपना प्रचार भी कर रहा था और पैसा भी ग्राहक से ले रहा था।
अब दिनेश ने उपभोक्ता फोरम में केस कर दिया। उपभोक्ता फोरम ने बाटा वालों को बुलाया। बाटा वालों ने दलील दी कि वो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कागज का कैरीबैग दे रहें हैं। इस पर उपभोक्ता फोरम ने कहा कि अगर पर्यावरण की इतनी चिंता है तो मुफ्त में बांटिए। फिर उपभोक्ता फोरम ने भी कैरी बैग पर बाटा का लोगो लगा होने पर प्रचार को माना। फोरम ने बाटा वालों को कड़ी डांट पिलाई और दिनेश को 3 रुपए के कैरी बैग के एवज में 3000 रुपए मुआवजा और 1000 रुपए मुकदमे के खर्च के लिए देने के आदेश दिए। इसके साथ ही उपभोक्ता कानूनी सहायता खाते में 5000 रुपए जमा कराने के निर्देश दिए।
तो समझ गए न, अगली बार से अगर कोई कैरी बैग के पैसे आपसे मांगे तो उसे ये खबर पढ़ा दीजिएगा।