देहरादून : उत्तराखंड में NRC लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का बड़ा बयान सामने आया है. जी हां सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बयान देते हुए कहा कि अघर जरूरत हुई तो उत्तराखंड में भी NRC लागू करेंगे. सीएम ने कहा कि कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
ऐसा करने वाला असम पहला राज्य
आपको बता दें कि असम पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।
असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। इस मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं। 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी पाकिस्तान में आना-जाना जारी रहा। 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन किया। इसके बाद 1985 को तब की केंद्र में राजीव गांधी सरकार ने असम गण परिषद से समझौता किया। इसके तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
हालांकि इस पर काम शुरू नहीं हो सका। 2005 में जाकर कांग्रेस सरकार ने इस पर काम शुरू किया। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसमें तेजी आई। इसके बाद असम में नागरिकों के सत्यापन का काम शुरू हुआ। राज्यभर में एनआरसी केंद्र खोले गए। असम का नागरिक होने के लिए वहां के लोगों को दस्तावेज सौंपने थे।