मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक विवाद को बड़ा होने से पहले ही अपने सियासी चातुर्य की बदौलत सुलझा दिया। सुलझाया भी ऐसा कि न किसी ही हार न किसी की जीत। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस सियासी चातुर्य की चर्चा अब सचिवालय के गलियारों में हो रही है। दरअसल हाल ही में किच्छा के बीजेपी के विधायक राजेश शुक्ला और उधम सिंह नगर के डीएम नीरज खैरवाल के बीच कुछ मसलों पर मतभेद हो गए है। ये मतभेद इतने गहरे हुए कि सार्वजनिक पटल पर आ गए। धीरे धीरे विवाद बढ़ता गया और राजेश शुक्ला ने ऐलान कर दिया कि वो डीएम की किसी बैठक में शामिल नहीं होंगे। विधायक जी ने विधानसभा अध्यक्ष के पास अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए डीएम नीरज खैरवाल की शिकायत भी की। मामला अब भी विधानसभा अध्यक्ष के पास है। राजेश शुक्ला ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी इस संबंध में शिकायत की।
इसी बीच शुक्रवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत रुद्रपुर के दौरे पर पहुंचे। सीएम ने रुद्रपुर में कोविड अस्पताल का उद्घाटन किया। इस दौरान राजेश शुक्ला भी मौजूद रहे। इस उद्घाटन के बाद सीएम जिले की समीक्षा बैठक में बैठ गए। इस बैठक में डीएम भी मौजूद थे और इलाके के विधायक भी। लेकिन राजेश शुक्ला नहीं आए। सीएम की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए। सीएम ने इस बैठक में डीएम नीरज खैरवाल की जमकर तारीफ भी की। खैर, बात आई गई हो गई और सीएम वापस देहरादून लौट आए।
चर्चाएं हो ही रहीं थीं कि देर रात तक अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी हुए। इस तबादले के आदेश को देखकर इस मसले को फॉलो कर रहे लोग हैरान रह गए। सीएम त्रिवेंद्र ने ऐसी चाल चली कि न कोई हारा न कोई जीता, न शह न मात और बाजी भी हमारी। दरअसल सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोपहर में बतौर डीएम नीरज खैरवाल के साथ बैठक की और रात तक उसे अपना अपर सचिव बना कर देहरादून बुला लिया। यही नहीं, नीरज खैरवाल को उर्जा निगम का एमडी पद भी सौंप दिया।
यही पर सीएम की सियासी चतुराई सामने आई है। दरअसल नीरज खैरवाल की गिनती राज्य के अच्छे अफसरों में होती है। फिलहाल विवादों से नीरज खैरवाल का कोई खास नाता नहीं नजर आता। ये बात सीएम त्रिवेंद्र भी जानते हैं कि अच्छे अफसर जरा मुश्किल से मिलते हैं और अफसर काफी दिनों तक अच्छ बने रहे ये और मुश्किल होता है। फिलहाल नीरज मुश्किलों में खड़े नजर आते हैं। बस, सीएम ने तुरंत दिमाग लगाया और मार दिया चौका। इस दौरान उन्होंने ध्यान रखा कि बॉल भी स्टंप पर लगे और बैट्समैन पैवेलियन में भी न जाए। लिहाजा सीएम ने अपनी पार्टी के विधायक और फिलहाल डीएम से नाराज चल रहे राजेश शुक्ला की खुशी के लिए उनके इलाके के डीएम को बदल दिया। इस दौरान ध्यान रखा कि नीरज खैरवाल का तबादला ऐसा न लगे कि वो सजा है। क्योंकि इससे पूरी अफसरशाही को ये संदेश जाता कि अच्छा काम करने वालों को सीएम अपने विधायकों के दवाब में प्रताड़ित कर रहें हैं। सीएम ने राजेश शुक्ला और नीरज खैरवाल के मामले में इन बातों का पूरा ख्याल रखा। अब सचिवालय के गलियारों में कभी नीरज खैरवाल और राजेश शुक्ला आमने सामने आ गए तो क्या होगा ये तो रब ही जाने।