देहरादून- आठ जून से टीएसआर सरकार का पहला बजट सत्र है। बजट सत्र बीस जून तक चलेगा। ऐसे में सरकार को सदन से लेकर सड़क तक कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
सदन में जहां सरकार को विपक्ष के तीखे सवालों से निबटना होगा वहीं सड़क पर तमाम संगठनों को धरना-प्रदर्शनों का भी सामना करना होगा। पिछले 950 दिनों से नौकरियों के लिए धरना दे रहे सूबे के बेरोजगार फार्मासिस्ट संगठन ने अब नौकरी के लिए जान कुर्बान करने का फैसला ले लिया है।
बेरोजगार फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज त्रिपाठी की माने तो धरना-प्रदर्शन को लंबा वक्त बीत चुका है ऐसे में अगर नई सरकार भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं करती तो बेरोजगार फार्मसिस्ट सामूहिक रूप से सीएम आवास के सामने आत्मदाह करेंगे।
गौरतलब है कि पिछली कांग्रेस सरकार में फार्मासिस्ट के 600 रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन भाजपा सरकार ने आते ही इस पर रोक लगा दी। जबकि पांच हजार से ज्यादा बेरोजगार फार्मासिस्ट आंदोलन की राह पर हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि, अगर सरकार बेरोजगारों को रोजगार नहीं दे सकती तो उन निजी संस्थानों को बंद क्यों नहीं करती जो डिग्री-डिप्लोमा के हसीन सब्जबाग दिखाकर बेरोजगारों को लूट रहे हैं।