देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पिछले साल जब वे उत्तरकाशी दौरे पर थे, तब वहां लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 1023 लड़कियों का था। फिर अचानक लिंगानुपात इतना कैसे गिर गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए जांच की कमेटी बनाई गई है। रिपोर्ट आने पर सर्वाजनिक की जाएगी। सवाल ये भी है कि डीएम ने जो रिपोर्ट मीडिया में सार्वजनिक की। उसमें पहले 133 गांव बताए गए थे, लेकिन अब गांवों की संख्या घटकर 89 रह गई है। इतना ही नहीं 129 गांवों में 180 बच्चियों के ही जन्म लेने की बात भी सामने आई है।
उत्तरकाशी जिले में पिछले 3 महीने के लिंगानुपात को लेकर जारी आंकड़ों ने इन दिनों पूरे उत्तराखंड को सकते डाल रखा है। आशा कार्यकत्रीयों की रिपोर्ट में उत्तरकाशी जिले 133 गांवों में 216 बालक होने की बात कही गई। इनमें एक भी बेटी के जन्म न होने को दर्शाया गया है। इसके बाद से ही लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं, दूसरी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई, जिसमें 129 गावों में 180 बेटियों का जन्म हुआ है। इन गांवों में एक भी बालक का जन्म नहीं हुआ है। आशाकार्यत्रियों के रिपोर्ट पर गौर फरमाएं तो भ्रूण हत्या की ओर सभी का ध्यान जा रहा है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर गौर फरमाएं तो लिंगानुपात के लिए अच्छी खबर ये है। लेकिन, उलझन में डालने वाली इन रिपोर्ट से उत्तरकाशी की छवी भी खराब हो रही है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना कि एक कमेटी का गठन इसके लिए कर दिया गया है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक उत्तरकाशी की बात है, तो पिछले साल जब वे उत्तरकाशी के दौरे पर गए थे। तब 1000 बालकों पर उत्तरकाशी में 1023 बालिकाएं थी। जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। उन्होंने माना कि आंकड़े चैंकाने वाले हैं।