देहरादून- तेज-तर्रार आईपीएस ऑफिसर अभिनव कुमार को आप भूले नहीं होंगे। हालांकि बात बहुत पुरानी है लेकिन इतनी भी नहीं कि दिमाग पर जोर देना पड़े।
जब सूबे मे इससे पहले भाजपा सरकार थी तब बेहद कड़क मिजाज़ माने जाने वाले आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार हरिद्वार और देहरादून में कप्तान के पद पर तैनात रहे थे।
बाद में उन्हें उनके गुडवर्क के चलते सीएम दरबार मे तैनात भी किया गया था। हालांकि बाद में वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में चले गए और मौजूदा वक्त मे बीएसएफ महानिरीक्षक के तौर पर चंड़ीगढ़ में तैनात हैं।
उन्ही आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार को त्रिवेंद्र रावत सरकार सीएम सचिवालय मे तैनात करना चाह रही थी। सब कुछ हो गया था, बताया जा रहा है कि अभिनव से फोन पर बात भी हो चुकी थी और उन्होंने उत्तराखंड वापसी को लेकर हामी भी दे दी थी।
सीएम दरबार से उनकी उत्तराखंड वापसी के लिए खत भी लिखा जा चुका था। तय था कि उन्हें सीएम सचिव के रूप मे तैनात किया जाएगा। लेकिन न जाने क्या हुआ, जिस अधिकारी की पैरवी करते हुए 18 मई को केंद्र से वापसी के लिए गुजारिश की गई। ठीक 11 दिन बाद यानि 29 मई को एक दूसरा खत केंद्र सरकार को भेजा गया, जिसमे कहा गया कि अधिकारी की उत्तराखंड को जरूरत नहीं है।
यानि 10 के भीतर ऐसी खिचड़ी पकी की सीएम को अपनी हांडी जमीन पर पलटनी पड़ी। और सीएम को बैक फुट पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। माना जा रहा है कि, ऐसा टीएसआर सरकार ने आईएएस लॉबी के दबाव में किया।
खबर है कि मौजूदा वक्त में सीएम के करीबी सूबे की आईएस बिरादरी कतई नहीं चाहती कि उन्हें किसी तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी के हुक्म की तामील करनी पड़े। सूत्रों की माने तो अभिनव कुमार को दिल्ली रोकने के लिए सीएम के बेहद करीबी आईएएस को इस मुहिम मे लगाया गया था।
बहरहाल सीएम के एक बार फिर से बैकफुट आने पर साफ हो गया है कि, जो टीएसआर कैबिनेट के मंत्री हरक सिंह रावत ने पिछले दिनों कहा था वो शायद सच ही था। क्योंकि बिना आग के धुंआ नहीं उठता।