देहरादून- बीते लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थाम कर कांग्रेस को चौकाने वाले सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सूबे की त्रिवेंद्र सरकार को भी चौका दिया है। उत्तराखंड के बीते सोलह साल के इतिहास पर गौर किया जाए तो आज तक राज्य मे ऐसा कभी नहीं हुआ जो अब की दफे महाराज ने कर के दिखा दिया।
केंद्र में पीएम मोदी ने निर्मला सीतारमण को रक्षामंत्री बनाकर अपने सांसदों और सहयोगी दलों को चौकाया तो इधर उत्तराखंड में कांग्रस से भाजपा में आए और टीएसआर कैबिनेट में पर्यटन और सिंचाई जैसे बड़े महकमों को संभालने वाले कद्दावर मंत्री सतपाल महाराज ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रवेंद्र रावत समेत पूरे भाजपा संगठन को दांतों तल उंगली दबाने को मजबूर कर दिया है। कहने वाले तो कह रहे हैं कि सतपाल महाराज ने तलवार निकाल ली है।
दरअसल महाराज के पर्यटन मंत्रालय के अहम हिस्से उत्तराखंड पर्यटन परिषद ने प्रिंट मीडिया मे एक बड़ा और महंगा माने जाने वाला पूरे पेज का विज्ञापन जारी किया है। जिसमे उत्तराखंड की 24 शक्तिपीठ मानी जाने वाली देवियों के मंदिरों को प्रकाशित कर देश दुनिया के तीर्थयात्रियों से उत्तराखंड मे नवरात्रि मनाने का अह्वान किया गया है।
सरकारी महकमे के इस जारी विज्ञापन मे सब कुछ है, सभी शक्तिपीठों मंदिरों की तस्वीरें हैं, उनकी महिमा की जानकारी हैं। पर्यटन परिषद के दफ्तर का पता मय फोन और ईमेल सहित है। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छा गंगा के लिए जन जागरूकता फैलाने वाला स्लोगन है। संघ से जनसंघ और जनसंघ से भाजपा के सपना देखने वाले एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल की तस्वीर भाजपा के लक्ष्य के साथ प्रकाशित है।यहां तक की सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की फोटो भी छपी है। सिर्फ अगर नहीं छपी है तो उन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की तस्वीर नहीं छपी है जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की खास पसंद है और माना जाता है कि उन्हीं की पैरवी पर टी एस रावत को उत्तराखंड की कमान सौंपी गई।
बावजूद इसके मुख्यमंत्री की तस्वीर पूरे पेज के विज्ञापन मे एक गुणा एक सेंटीमीटर में भी नहीं प्रकाशित की गई है। उत्तराखंड के पिछले सोलह साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा होगा जब किसी सरकारी विज्ञापन के फलक पर कैबिनेट मंत्री हो लेकिन सरकार का मुखिया न हो। उसकी तस्वीर तो छोडिए उसके नाम का जिक्र भी न हो।
इस कृत्य को अंजाम देकर सूबे के सियासी इतिहास में इतिहास पुरुष बनकर सतपाल महाराज ने न केवल नई परंपरा को जन्म दिया है बल्कि पैनी नजर रखने वाले मान रहे हैं कि महाराज ने त्रिवेंद्र के खिलाफ विज्ञापन जारी कर अपने इरादे जाहिर किए हैं। माना ये भी जा रहा है कि मुखिया से लंबे अर्से से महाराज की नाराजगी की जो खबरें मीडिया में आ रही थी वो बिना आग के धुंए वाली नहीं थी। बेशक संगठन और सरकार एकता की बात करें लेकिन अंदूरूनी हकीकत की जारी विज्ञापन चुगली कर रहा है कि महाराज की नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है। ये विज्ञापन नहीं तेज धार वाली तलवार है और शायद किसी गड़बड़ी का संकेत भी।