उत्तराखंड में साधु-संतों और पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ लंबे समय से आवाज बुलंद की थी। चुनाव में दावेदार खड़ा करने का मन बना लिया था लेकिन उससे पहले ही सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड एक्ट वापस लेने का ऐलान किया। सीएम धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया गया है. लंबे समय से ये मांग कर रहे पुरोहितों में खुशी का माहौल है।
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समझिए इस बोर्ड को बनाने की जरुरत क्यों पड़ी
लेकिन आपको समझाते हैं कि आखिर इस बोर्ड को बनाने की जरुरत क्यों पड़ी। दरअसल इस बोर्ड की शुरुआत 2017 से हुई जब उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी. तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने चारों धाम के साथ राज्य में बने 53 मंदिरों के बेहतर संचालन के लिए एक बोर्ड गठित करने का फैसला लिया था. जिसे देवस्थानम बोर्ड नाम दिया गया. 2019 में इसके गठन की मंजूरी मिली. मंजूरी के बाद उत्तराखंड विधानसभा में “उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट बिल” पेश किया गया.
तीर्थपुरोहितों, पंडा समाज और हक हकूधारियों के तमाम विरोध के बीच यह बिल विधानसभा में पास हुआ. जनवरी 2020 में इस बिल को राजभवन से मंजूरी मिली । इसी एक्ट के तहत 15 जनवरी 2020 को ‘चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ बना. इस बोर्ड के गठन के बाद चारोंधामों का मैनेंजमेंट की व्यवस्था सरकार के हाथ में आ गई। चढावे से लेकर हर व्यवस्था सरकार के हाथ में आ गई जिससे तीर्थपुरोहित खफा हो गए।
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मंदिरों के पुरोहित ही देखते थे सारा प्रबंधन, बोर्ड के गठन से सरकार के हाथ में आ गई थी पावर
बोर्ड के गठन से पहले तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे। मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था। लेकिन बोर्ड के गठन के बाद ये पावर सरकार के हाथ में आ गई लेकिन ये तीर्थपुरोहितों का नगवार गुजरी। मंदिर में होने वाली आय का एक हिस्सा मंदिर की व्यवस्था संभालने वाले लोगों तक पहुंचता था, वो उन तक पहुंचना बंद हो गया. इसके अलावा चार धाम और मंदिरों में आने वाला चढ़ावा सरकार के नियंत्रण में चला गया. बोर्ड इन पैसों का इस्तेमाल राज्य में पार्क, स्कूल और भवन जैसे निर्माण कार्य में करने लगा. लेकिन फिर शुरु हुआ विरोध…
आखिर क्यों वापल लेना पड़ा फैसला?
इस बोर्ड का गठन करने का फैसला भाजपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का था, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पलट दिया. 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा सरकार चुनाव के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस्तीफा लेकर भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह से जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की वजह पूछी गई तो उनका कहना था कि मेरे इस्तीफे की वजह जाननी है तो आपको दिल्ली जाना होगा.