देहरादून- स्वच्छ दून, सुंदर दून…ये नारा सुनने में जितना अच्छा लगता है उतनी ही उलट इसकी हकीकत हौ… इन दिनों देहरादून में जो नजारा देखने को मिल रहा है वो इस नारे को तो मुंह चिढ़ा ही रहा है साथ ही प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के दावों को भी आईना दिखा रहा है।
पूरा शहर दुर्गन्ध भरे कूड़े के ढेर में तब्दील
दून में अपनी मांगों को लेकर सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं। आलम ये है कि पूरा शहर दुर्गन्ध भरे कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया है। यहीं नहीं सड़कों तक कूड़े का ढेर जमा हो गया है जिससे वाहनों को भी आवाजाही में दिक्कतें हो रही है. वहीं कूड़े के चलते आम जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही गर्मियों में महामारी फैलने का डर भी बढ़ गया है।
क्या है कर्मचारियों की मांग
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में उन्हें केवल 5,000 रुपए महीने का मिल रहा है, लेकिन नियम के मुताबिक उन्हें रोजाना 285 रुपए मिलने चाहिए।
नगर निगम में अधिकारियों के ऑफिसों में लगे मिले ताले
आलम ये है कि बाजार में सड़कों पर और दुकानों के बाहर लगे कूड़े के अंबार के चलते दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद रखनी पड़ रही हैं. हालांकि दिलचस्प बात ये कि जब दुकानदार अपनी समस्या लेकर नगर निगम पहुंचे तो उससे संबंधित अधिकारियों के ऑफिसों में ताले लगे हुए थे, पूछने पर पता चला कि सभी छुट्टी पर गए हुए हैं। कर्मचारियों की हड़ताल का फायदा अधिकारी खूब उठा रहे हैं. अपर नगर आयुक्त नीरज जोशी की मानें तो सफाईकर्मियों की हड़ताल के चलते ऐसे हालात पैदा हुए हैं, जिसे जल्द ही सुचारू रूप से वापस शुरू किया जायेगा.
सीएम कर्मचारियों की रवैये से नाराज
वहीं सीएम त्रिवेंद्र रावत कर्मचारियों के इस रवैये से नाराज है. उन्होंने सफाई कर्मचारियों को साफ तौर पर काम पर लौटने के निर्देश दिए है वरना नो वर्क नो सेलरी लागू करने की चेतावनी दी. आपको बता दे सफाई कर्मचारी 7 मई से हड़ताल पर हैं.