नई दिल्ली- लाल किले के प्राचार से पीएम मोदी के भाषण में जजों की नियुक्ति पर कोई जिक्र नहीं होने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने निराशा जताई है। सीजेआई ने कहा कि पीएम के डेढ़ घंटे के भाषण में मैं ये उम्मीद कर रहा था कि जजों की नियुक्ति के बारे में बात होगी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि अंग्रेजों के वक्त में तो दस साल में मुकदमे का फैसला हो जाता था। वो अब नहीं हो रहा। अब तो केस और मुकदमों के साथ लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। बहुत मुश्किल हो रहा हैं, इसलिए मैंने बार-बार गुजारिश की हैं कि जरा इस और भी तवज्जो दीजिए। सीजेआई ने कहा कि ‘1947 में हमारी आबादी 32 करोड़ थी। 10 करोड़ लोग तब भी गरीबी रेखा के नीचे थे। करीब एक तिहाई लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। आज हमारी आबादी 125 करोड़ हो चुकी हैं। वहीं 10 करोड़ की आबादी 40 करोड़ के पास हो गई है। जरा उन पर भी ध्यान दीजिए, लेकिन आपने गरीबी रेखा भी ऐसे ड्रा की है कि 26 रुपये गांव में और 32 रुपये शहर में कमाने वाला शख्स गरीबी रेखा से ऊपर चला जाता है। एक बड़ी चुनौती ये है कि क्या हम 70 साल बाद गरीबी को हटा पाए हैं। आज रोजगार की परेशानी है’।
बता दें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पहले भी जजों की नियुक्ति के मुद्दे को पीएम मोदी के सामने उठा चुके हैं।