रूड़की। आपने बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान की दंगल मूवी तो ज़रुर देखी होगी। लेकिन आज हम आपको असली दंगल और बबीता और गीता की तरह कीर्ति और प्रीति से रुबरु कराते हैं। जी हां आप सोच रहे होंगे कि ये वाकई सच है या फिर कुछ और। ये सौ आने सच है मगर सवाल है, तो ये, कि उत्तराखंड में छिपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए यहां की सरकारों से उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
मंगलौर कस्बे के छोटे से गांव भरतपुर की रहने वाली कीर्ति और प्रीति भले ही दंगल की गीता बबीता न हों। लेकिन उनकी मेहनत भी किसी दंगल से कम नहीं है। पिता ओमवीर सिंह ने कीर्ति और प्रीति को घर पर ही रेसलिंग सिखाई। अपने पिता से कुश्ती के गुर सीख कीर्ति और प्रीति ने पहलवानी में न सिर्फ नेशनल लेवल पर देश का नाम रौशन किया बल्कि इंटरनेशल लेवल पर खेल कई मैडिल भी ये दोनों अपने नाम कर चुकी है।
भले ही दंगल मूवी को देखने के बाद रैसलिंग से जुड़ी महिलाओं के बारे में आपको ज्यादा जानकारी मिली हो लेकिन दंगल मूवी आने से पहले ही कीर्ति और प्रीति पहलवानी के इस खेल में कई मैडिल जीत चुकी है। दंगल मूवी के क्लाइमेक्स में भले ही गीता बबीता को आपने खुश देखा हो लेकिन असल जिंदगी में ये ज़रुरी नहीं है। कीर्ति और प्रीति देश के लिए करना तो बहुत कुछ चाहती हैं लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है।